रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने पूंजीवाद पर गंभीर खतरा की आशंका जाहिर की है. उन्होंने कहा कि आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्था में लोगों को बराबर अवसर उपलब्ध नहीं हुए हैं. इस वजह से पूंजीवाद के खिलाफ विद्रोह खड़ा हो सकता है.
एक कार्यक्रम के दौरान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री राजन ने कहा, 'दुनियाभर की सरकारें सामाजिक असमानता को नजरअंदाज नहीं कर सकती हैं. 'मेरा मानना है कि पूंजीवाद गंभीर खतरे में है क्योंकि इसमें कई लोगों को अवसर नहीं मिल पा रहे हैं और जब ऐसा होता है तो पूंजीवाद के खिलाफ विद्रोह खड़ा हो जाता है.'
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मेरी समझ से पूंजीवाद कमजोर पड़ रहा है क्योंकि यह लोगों को बराबर अवसर नहीं दे रहा है. वास्तव में जो लोग पूंजीवाद से प्रभावित हो रहे हैं, उनकी स्थिति बिगड़ी है. राजन ने सलाह देते हुए कहा कि संसाधनों का संतुलन जरूरी है. हर किसी को अपनी पसंद से कुछ भी चुनने की आजादी है. वास्तव में जरूरत इस बात की है कि अवसरों की स्थिति में सुधार हो. उन्होंने कहा कि 2008 की आर्थिक मंदी के बाद खासतौर पर स्थिति बदली है.
पूर्व गवर्नर ने उदाहरण देते हुए कहा कि पहले मामूली शिक्षा के साथ मध्यम श्रेणी की नौकरी मिल जाती थी लेकिन 2008 के वैश्विक आर्थिक संकट के बाद स्थिति बदली है. अगर आपको सफलता हासिल करनी है, तो आपको वास्तव में अच्छी शिक्षा हासिल करने की जरूरत है. वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति के बारे में बात करते हुए राजन ने कहा कि अगर आप दूसरे के व्यापार पर प्रतिबंध लगाएंगे तो वो आपकी वस्तुओं पर प्रतिबंध लगाएंगे. उन्होंने कहा कि सवाल ये है, आप सीमा के पार अपने व्यापार को कैसे चालू रखते हैं और अपनी वस्तुएं वहां कैसे पहुंचाते हैं.