वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि भारतीय कंपनियों द्वारा विदेशों में किये जाने वाले निवेश के मामले में रिजर्व बैंक द्वारा किये गए उपायों को ‘पूंजी पर नियंत्रण नहीं माना जाना चाहिए और केन्द्रीय बैंक समय आने पर इसकी फिर से समीक्षा करेगा.
चिदंबरम ने बताया, 'रिजर्व बैंक के परिपत्र (विदेशों में किये जाने वाले प्रत्यक्ष निवेश के बारे में) को घरेलू कंपनियों पर पूंजी नियंत्रण के तौर पर नहीं देखना चाहिये. उन्होंने कहा, 'मेरा मानना है कि ये उपाय तात्कालिक हैं और मुझे पूरा भरोसा है कि रिजर्व बैंक इनकी समय पर फिर से समीक्षा करेगा. इसलिए इसे पूंजी नियंत्रण न समझा जाये.'
रिजर्व बैंक ने सार्वजनिक तेल उपक्रम को छोड़कर घरेलू कंपनियों द्वारा विदेशों में किये जाने वाले स्वत: स्वीकृत मार्ग के तहत प्रत्यक्ष निवेश (ओडीआई) की सीमा को 400 प्रतिशत से घटाकर 100 प्रतिशत कर दिया.
चिदंबरम ने कहा कि मेरा मानना है कि इन उपायों के जरिये हम भारतीय कंपनियों को विदेशों में निवेश करने से हतोत्साहित नहीं कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक ने मात्र ओडीआई को नेटवर्थ के 400 प्रतिशत से घटाकर नेटवर्थ का 100 प्रतिशत किया है.