महंगाई बढ़ने का जोखिम देखते हुये रिजर्व बैंक ने अपनी मुख्य नीतिगत दर रेपो दर को 6.25 प्रतिशत पर बरकरार रखा. हालांकि, बैंकों में पड़ी अतिरिक्त नकदी को कम करने के लिये उसने रिवर्स रेपो दर को 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर 6 प्रतिशत कर दिया. रिजर्व बैंक ने रिवर्स रेपो दर को 5.75 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.0 प्रतिशत कर दिया.
रिवर्स रेपो दर वह दर होती है जिसपर वाणिज्यिक बैंक अपना धन रिजर्व बैंक के पास रखते हैं. अब इस पैसे पर बैंकों को अधिक ब्याज मिलेगा जबकि दूसरी तरफ फौरी जरूरत के लिये रिजर्व बैंक से लिये गये धन पर उन्हें पुरानी दर 6.25 प्रतिशत पर ही ब्याज देना होगा. कुल मिलाकर बैंकों को फायदा होगा, उनके कोष की लागत एक तरह से कम हो सकती है और वे कर्ज सस्ता करने की स्थिति में हो सकते हैं.
रिजर्व बैंक ने 2017-18 की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में कहा है कि मुद्रास्फीति बढ़ने का जोखिम और तंत्र में अतिरिक्त नकदी को देखते हुये रेपो दर को 6.25 प्रतिशत पर यथावत रखा गया है. केन्द्रीय बैंक ने कहा कि जो भी निर्णय लिये गये वह मौद्रिक नीति समिति के सदस्यों की सर्वसम्मति से लिये गये हैं. बैंकों की सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) को 0.25 प्रतिशत घटाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया गया. एमएसएफ के तहत बैंक सरकारी प्रतिभूतियों के एवज में अपेक्षाकृत कुछ अधिक समय के लिए रिजर्व बैंक से कर्ज लेते हैं.
बैंक दर एक तरह से दंडात्मक व्यवस्था है जो उधार चुकाने में देरी पर लागू किया जाता है. बैंक को 0.25 प्रतिशत घटा कर घटाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया गया है. केन्द्रीय बैंक ने कहा है कि वर्ष 2017-18 में सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) वृद्धि 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह 6.7 प्रतिशत रही थी.