अगर आप घर खरीदने की सोच रहे हैं लेकिन बिल्डरों द्वारा प्रोजेक्ट लेट किए जाने या घटिया निर्माण की आशंका से डरे हुए हैं तो आपकी ये चिंता अब दूर हो जाएगी. अगर आपने किसी प्रोजेक्ट में अपनी जमापूंजी लगाई हुई है और समय सीमा बीत जाने के बावजूद आपको फ्लैट नहीं मिला है और न ही आपकी कहीं कोई सुनवाई हो रही है तो आपके लिए भी अच्छी खबर है. एक मई से बहुप्रतीक्षित रियल एस्टेट एक्ट यानी रेरा लागू हो रहा है. बिल्डरों की मनमानी से निजात दिलाने और बॉयर्स को शोषण से बचाने का ये क्रांतिकारी कानून पिछले साल मार्च में संसद में पास हुआ था और आज यानी एक मई से ये लागू हो गया है.
खरीदारों को क्या होगा फायदा?
डेवलेपरों के वो सभी प्रोजेक्ट जो अभी अंडर कंस्ट्रक्शन हैं या जिन्हें कंपलीशन सर्टिफिकेट नहीं मिला है या फिर जो नए प्रोजेक्ट लांच होने वाले हैं उन सबको तीन महीने के अंदर नियामक प्राधिकरण में रजिस्टर्ड कराना होगा. राज्यों के लिए ये जरूरी है कि वे इसके तहत प्राधिकरण गठित करें. सभी रजिस्टर्ड प्रोजेक्ट का पूर्ण विवरण प्राधिकरण के पास होगा जिसमें प्रमोटर, परियोजना, ले-आउट, योजना, भूमि की स्थिति, समझौते, रियल एस्टेट एजेंट, ठेकेदार, इंजीनियरों आदि के बारे में विस्तृत जानकारी होगी. प्रोजेक्ट कब पूरा होगा इसकी तारीख भी देनी होगी और उसकी लागत राशि अलग बैंक खाते में जमा करनी होगी. जिस प्रोजेक्ट का पैसा है उसी प्रोजेक्ट में लगाया जा सकेगा.
अगर बिल्डर ने नहीं पूरे किए वादे तो...
घर खरीदारों की सबसे बड़ी शिकायत यही रहती है कि उनसे वादा जिन सुविधाओँ का किया जाता है वो उन्हें घर में नहीं मिलतीं. प्रोजेक्ट का लेआउट व अन्य चीजें बीच में बिना उनकी सहमति से बदल दी जाती हैं लेकिन रेरा के तहत अगर बिल्डर प्रोजेक्ट के ब्रौशर और विज्ञापन में किए गए वादे पूरा नहीं करता तो उसे 3 से 5 साल तक की जेल हो सकती है. बिल्डर अगर कोई अन्य धांधली करता है जिससे पांच साल के भीतर उसपर कोई जुर्माना लगाया जाता है तो उसका वहन बिल्डर को ही करना होगा न कि खरीदारों को.
कहां-कहां मिली है रेरा को हरी झंडी
रेरा की सभी 92 धाराएं एक मई से प्रभावी हो जाएंगी. हालांकि केवल 13 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों ने ही अबतक इसके नियम अधिसूचित किए हैं. इनमें उत्तर प्रदेश, गुजरात, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बिहार, अंडमान निकोबार द्वीपसमूह, चंडीगढ़, दादर और नागर हवेली, दमनदीव, लक्षद्वीप आदि ने नियम अधिसूचित किए हैं.
सरकार ने दिया बिल्डरों-खरीदारों को भरोसा
सरकार का कहना है कि इस कानून से खरीदार राजा बन जाएगा, दूसरी ओर चूंकि खरीदारों का विश्वास बहाल होगा इसलिए बिल्डरों को भी पहले की तुलना में ज्यादा ग्राहक मिलेंगे. शहरी आवास मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि मैंने सभी संबंधित पक्षों को आश्वासन दिया है कि यह विधेयक सभी के हित में इस क्षेत्र का बस विनियमन समर्थ बनाता है न कि इस क्षेत्र का गला घोंटता है. मैं इतना कहना चाहता हूं कि डेवलपर अपने वादे पूरा करें. विज्ञापन में जो वादे किए गए हैं, उनका पालन हो.
आंकड़ों के आइने में भारत का रियल एस्टेट मार्केट
भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र के अंतर्गत कुल 76 हजार कंपनियां शामिल हैं. हर साल तकरीबन 10 लाख लोग अपने सपनों के घर में निवेश करते हैं. 2011 से लेकर 2015 तक हर साल 2349 से लेकर 4488 प्रोजेक्ट लॉन्च हुए. देश के 15 राज्यों के 27 शहरों में ऐसे कुल 17 हजार 526 प्रोजेक्ट लॉन्च हुए जिनमें 13.70 लाख करोड़ रुपये का निवेश हुआ.
डेवलपरों को उम्मीद, रेरा से बढ़ेगी मकानों की डिमांड
डेवलपरों को उम्मीद है कि एक मई से रीयल एस्टेट कानून लागू होने से मकानों की मांग में तेजी आएगी क्योंकि यह कानून खरीदारों को बेईमान कंपनियों से बचाएगा जबकि दाम बड़ी संख्या में बने हुए मकानों के अबतक नहीं बिकने की वजह से स्थिर बने रहेंगे. रीयल एस्टेट डेवलपरों के दो बड़े शीर्ष निकाय- क्रेडाई और नारेडको महसूस करते हैं कि इस कानून के लागू होने से भारतीय रीयल एस्टेट क्षेत्र के कामकाज के तौर तरीकों में एक बड़ा बदलाव आएगा, हालांकि उन्हें उसमें प्रारंभिक कठिनाइयां नजर आती हैं. ये दोनों संगठन चाहते थे कि सरकार वर्तमान परियोजनाओं को रीयल एस्टेट (नियमन एवं विकास) अधिनियम, 2016 के दायरे से दूर रखे लेकिन उनका सुझाव इस कानून में शामिल नहीं किया गया.