बिल्डरों की मनमानी पर लगाम कसने वाला रियल एस्टेट बिल गुरुवार को राज्यसभा में पास हो गया. इसके लागू होने से देश में फ्लैटों की गुणवत्ता से लेकर तय वक्त पर घर देने के लिए रियल एस्टेट कंपनियां मजबूर होंगी, जिसका सीधा फायदा आम जन को मिलेगा. बिल पर नरेंद्र मोदी की सरकार को कांग्रेस का भी साथ मिला है.
इससे पहले ऊपरी सदन में केंद्रीय आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्री वेंकैया नायडू ने बिल पेश किया. बिल में कहा गया है कि हर राज्य के रियल एस्टेट रेग्युलर नियुक्त किए जाएंगे, जो सभी प्रोजेक्ट्स की मॉनिटरिंग करेंगे और ग्राहक उनसे सीधे शिकायत कर पाएंगे. शिकायतों की सुनवाई रेग्युलेटर द्वारा की जाएगी.
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वेबसाइट पर देनी होगी हर जानकारी
इस बिल से रिलय एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता बढ़ेगी. प्रोजेक्ट लॉन्च होते ही बिल्डर्स को प्रोजेक्ट से संबंधित पूरी जानकारी अपनी वेबसाइट पर देनी होगी. इसमें प्रोजेक्ट के अप्रूवल्स के बारे में भी बताना होगा. साथ ही प्राजेक्ट में रोजाना होने वाले अपडेट के बारे में भी सूचित करना होगा.
भ्रामक विज्ञापन पर सजा
बिल में तहत 500 स्क्वायर मीटर एरिया या आठ फ्लैट वाले प्रोजेक्ट को भी रेग्युलेटरी अथॉरिटी के साथ रजिस्टर कराना होगा. पहले 1000 स्क्वायर मीटर वाले प्रोजेक्ट के लिए ही नियम के दायरे में आते थे. अब बिना रजिस्ट्रेशन के कोई भी प्रोजेक्ट लॉन्च नहीं हो सकेगा और न ही बिल्डर उसका विज्ञापन निकाल सकेंगे. भ्रामक विज्ञापन पर सजा का भी प्रावधान करने की सिफारिश की गई है.