नोटबंदी के बाद रियल एस्टेट सेक्टर को मोदी सरकार के आम बजट का बेसब्री से इंतजार है. नोटबंदी ने इसी सेक्टर में सबसे ज्यादा लोगों को बेरोजगार किया है. प्रतिबंधित की गई 500 और 1000 रुपये की करेंसी ने इस सेक्टर को लगभग ठप कर दिया क्योंकि सेक्टर को रफ्तार इसी करेंसी से मिलती रही है.
सेक्टर में सुधार के अहम कानून बनाए जा चुके हैं. अब आगामी बजट से सेक्टर को उम्मीद है कि सरकार ऐसे प्रावधान करे जिससे लंबे समय से मंदी के दौर से गुजर रहे सेक्टर में रौनक वापस आए.
वहीं बजट के जरिए मोदी सरकार की भी कोशिश सबके लिए हो घर अपना या सस्ते घर (अफोर्डेबल हाउस) का सपना पूरा करने के लिए बड़ा कदम उठाने का यह एक आखिरी मौका है.
तेज ग्रोथ के लिए रियल एस्टेट सेक्टर में ग्रोथ जरूरी
एग्रीकल्चर सेक्टर के बाद रियल एस्टेट सेक्टर ही देश में सबसे ज्यादा नौकरी देता है.
आईबीईएफ का दावा है कि अगले 10 साल में रियल एस्टेट सेक्टर में 30 फीसदी ग्रोथ देखने को मिलेगी.
यह सेक्टर देश की जीडीपी में 6 फीसदी से अधिक का योगदान करती है.
सेक्टर की अहम चुनौतियां
नोटबंदी के पहले से ही देश में प्रॉपर्टी बाजार कमजोर है. सेल में गिरावट दर्ज हो रही है.
सेल गिरने से कंपनियों के पास बड़ो इंवेंट्री तैयार है. (अधिक डिमांड-सप्लाई गैप)
सेक्टर में विदेश और घरेलू निवेश गिरा है जिससे नए प्रोजेक्ट्स नहें शुरू हो पा रहे हैं.
बजट से उम्मीद
रियल एस्टेट सेक्टर की कंपनियों को उम्मीद है कि केन्द्र सरकार आगामी बजट में रियल एस्टेट, स्पेशल इकोनॉमिक जोन और इंडस्ट्रियल पार्क को इंफ्रास्ट्रक्चर का दर्जा देते हुए कारोबारी तेजी लाने का रास्ता तय करेगी. देश में घर के लिए कर्ज लेने की प्रक्रिया को आसान किया जाएगा. इसके सस्ते ही पहली बार घर खरीदने वाले लोगों को सस्ती दरों पर कर्ज मुहैया कराए जाने का रास्ता साफ होगा.