साइरस मिस्त्री को टाटा ग्रुप के चेयरमैन पद से हटाए जाने की खबर सोमवार को आई तो उद्योग जगत हैरान रह गया. हर किसी की जुबान पर यह सवाल तैरने लगा कि आखिर चार साल के भीतर ही मिस्त्री को क्यों हटा दिया गया जबकि कंपनी ने तो उन्हें 30 साल के लिए चेयरमैन बनाया था. टाटा ग्रुप ने अपने अब तक से सबसे युवा चेयरमैन साइरस मिस्त्री को हटाए जाने की कोई आधिकारिक वजह नहीं बताई. यहां हम चार संभावित कारणों का जिक्र कर रहे हैं जिनसे टाटा ग्रुप मिस्त्री के काम से खुश नहीं था.
1. शेयरहोल्डर्स से खराब व्यवहार
टाटा मोटर्स के शेयरधारकों ने अगस्त 2016 में शिकायत की थी कि उन्हें प्रति शेयर सिर्फ 20 पैसे डिविडेंड दिया गया. तब मिस्त्री ने इस कदम को सही ठहराया था. उन्होंने कहा, आप सभी से जुटाई पूंजी नए प्रोडक्ट्स में लगा रहे हैं. इस लंबे सफर में कमजोर दिल वालों की जगह नहीं है.
2. समूह का बेतरतीब ढांचा
समूह की कंपनियों में क्रॉस ऑनरशिप है. टाटा संस की टाटा मोटर्स या टाटा स्टील में हिस्सेदारी है और इन कंपनियों की एक-दूसरे में हिस्सेदारी है. इससे डाइवर्सिफाइड ग्रुप के रूप में पहचान नहीं बन पा रही. वहीं, टाटा समूह की कार्यप्रणाली में नौकरशाही का दबदबा है.
3. ग्रोथ की ठोस योजना नहीं
साइरस मिस्त्री चाहते थे कि 2025 तक टाटा समूह मार्केट कैप के लिहाज से दुनिया के टॉप-25 में जाए और समूह की पहुंच दुनिया की 25 फीसदी आबादी तक हो जाए. लेकिन वे इसके संकेत ही दे सके. विस्तृत प्लान पेश नहीं कर पाए.
4. फैसले लेने में देरी
मिस्त्री समूह के विभिन्न कारोबार की लीडरशिप में जान फूंक नहीं पाए. 2014 में कार्ल स्लिम की मौत के बाद टाटा मोटर्स में सीईओ नियुक्त करने में देरी की. हालांकि, टीसीएस के लिए एन चंद्रशेखरन जैसा स्मार्ट लीडर खोजने में कामयाब रहे.
5. स्लोलर्नर, क्लास अटेंड करते रहे
मिस्त्री ने पहले तीन साल टाटा समूह के कारोबारी साम्राज्य और इसकी जटिलताओं को समझने में लगा दिए. भू-राजनैतिक, टेक्नोलॉजी और सामाजिक मसलों पर अपनी समझ ही बढ़ाते रहे. क्लास रूम और सेमिनार में नई-नई पॉलिसी ही सीखते रहे.
यह होगा असर:
टाटा संस के चेयरमैन पद से सायरस मिस्त्री को हटाने की खबर से शेयर बाजार में गिरावट आई है. मिस्त्री के कार्यकाल में टाटा ग्रुप की कंपनियों के शेयरों की कीमत 515 फीसदी तक बढ़ी है. ऐसे में बाजार निराश तो हुआ ही है, अनिश्चितता भी पैदा हो सकती है.
टाटा ग्रुप की कंपनियों पर मंगलवार के कारोबार में निगेटिव असर दिखा है. समूह की जिन कंपनियों पर बुरी खबरों का असर पहले ही दिख रहा है उन कंपनियों के शेयरों पर ज्यादा मार पड़ सकती है. बाजार की चाल भी थोड़ी निगेटिव रह सकती है.
मिस्त्री को हटाने की खबर बाजार को झटका देने वाली है. साइरस चीजों को अलग तरह से हैंडल कर रहे थे. वह टाटा समूह के नॉन कोर बिजनेस को बेचकर समूह के कारोबार को कन्सॉलिडेट कर रहे थे. उनका ध्यान कम मुनाफे वाले कारोबार से बाहर निकलकर ऊंचे मुनाफे वाले कारोबार पर केंद्रित करना था.
टाटा समूह इंसान के तौर पर अच्छे हैं, लेकिन बिजनेस साइकिल के साथ तालमेल बैठाने में थोड़ा पीछे हैं. बाजार में इस घटनाक्रम का 'नी-जर्क' रिएक्शन दिख सकता है.