ऐसा लगता है कि देश में शराब कारोबार पर भी मंदी का असर हो गया है. पिछले साल शराब की बिक्री में हुई जबरदस्त बढ़त के बाद इस साल बिक्री में बढ़त की रफ्तार काफी सुस्त हो गई है. इस साल सितंबर की तिमाही में भारत में बने विदेशी शराब (IMFL) की बिक्री महज 1.4 फीसदी बढ़ पाई है.
क्या रही वजह
पिछले साल इसी अवधि में IMFL की बिक्री में 13 फीसदी की बढ़त हुई थी. अर्थव्यवस्था में आई मंदी, कई राज्यों में बाढ़ और टैक्स में बढ़त को इसकी वजह बताया जा रहा है. इसके अलावा जानकारों का कहना है कि शराब की खपत में कमी आ रही है और खासकर ग्रामीण इलाकों में इसमें ज्यादा कमी दिख रही है.
इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, साल 2018 में शराब कारोबार में बढ़त 10 फीसदी की हुई थी जो छह साल का सबसे ऊंचा स्तर था.
वोदका और जिन की बिक्री में गिरावट
जुलाई से सितंबर की तिमाही में देश में बनी विदेशी शराब (IMFL) की बिक्री में महज 1.4 फीसदी की बढ़त हुई है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में इसकी बिक्री में 12.9 फीसदी की बढ़त हुई है. व्हिस्की और ब्रैंडी की बिक्री में तो बढ़त हुई है, लेकिन इस दौरान वोदका और जिन की बिक्री में गिरावट आई है. इस दौरान जिन की बिक्री में 4.6 फीसदी तक की गिरावट आई है.
आईएमएफएल भारत में बनी विदेशी शराब होती है और इसकी कुल बिक्री में हिस्सेदारी करीब 70 फीसदी है. इसमें रॉयल स्टैग, मैकडॉवल, ब्लेंडर्स प्राइड और ऑफिसर्स च्वॉइस जैसे ब्रैंड हावी हैं. अप्रैल से जून की तिमाही के दौरान इस सेगमेंट की बिक्री में महज 2 फीसदी की बढ़त हुई थी. इस दौरान चुनावों की वजह से कई तरह की रोक लगी थी.
इसके पहले मार्च तिमाही में आईएमएफएल की बिक्री में 2.8 फीसदी की बढ़त हुई थी. साल 2012 से 2017 के पांच साल के दौरान आईएमएफएल की बिक्री में 4 फीसदी की बढ़त हुई है.
भारत दुनिया में शराब के सबसे बड़े बाजारों में से है. इस साल जनवरी से मार्च के दौरान भारत में आईएमएफएल के 9.1 करोड़ केस की खपत हुई थी.