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अरबन लैडर, मिल्क बास्केट को खरीद सकती है रिलायंस इंडस्ट्रीज, चल रही बातचीत

RIL ई-कॉमर्स में अपनी जगह मजबूत करने के लिए अरबन लैडर (Urban Ladder) और मिल्क बास्केट (Milkbasket) जैसी कंपनियों को खरीद सकती है. ​अरबन लैडर ऑनलाइन फर्नीचर कारोबार की प्रमुख कंपनी है, जबकि मिल्क बॉस्केट ऑनलाइन दूध, फल-सब्जियों आदि की आपूर्ति के कारोबार में है.

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ई-कॉमर्स कारोबार में रिलायंस चाहती है मजबूती
ई-कॉमर्स कारोबार में रिलायंस चाहती है मजबूती

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  • रिलायंस अब कंपनियां खरीदने की दौड़ में
  • ई-कॉमर्स कारोबार को मजबूती देने का इरादा

देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) ई-कॉमर्स में अपनी जगह मजबूत करने के लिए अरबन लैडर (Urban Ladder) और मिल्क बास्केट (Milkbasket) जैसी कंपनियों को खरीद सकती है. ​इस बारे में रिलायंस की इन कंपनियों से बातचीत काफी आगे बढ़ चुकी है.

क्या करती हैं ये कंपनियां

अरबन लैडर ऑनलाइन फर्नीचर कारोबार की प्रमुख कंपनी है, जबकि मिल्क बॉस्केट ऑनलाइन दूध, फल-सब्जियों आदि की आपूर्ति के कारोबार में है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, अरबन लैडर के साथ रिलायंस की बातचीत काफी आगे बढ़ चुकी है. बातचीत कारगर हुई तो यह सौदा करीब 3 करोड़ डॉलर में हो सकता है. रिलायंस इस कारोबार में बाद में और निवेश कर इस सेगमेंट में अपनी पहुंच बढ़ा सकती है.

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मिल्क बास्केट इसके पहले एमेजॉन से भी बातचीत में लगी थी, लेकिन अब वह अच्छे वैल्यूएशन की उम्मीद में रिलायंस से बातचीत कर रही है. दोनों के बीच बातचीत काफी आगे बढ़ चुकी है.

गौरतलब है कि मिल्क बास्केट गुरुग्राम, नोएडा, दिल्ली, गाजियाबाद, हैदराबाद और बेंगलुरु जैसे शहरों में करीब 1.30 लाख घरों दूध के अलावा, अन्य डेरी आइटम, फल, सब्जियों, एफएमसीजी उत्पादों की भी आपूर्ति करती है.

बढ़ रहा है कारोबार

देश में कोरोना वायरस के संकट की वजह से ऑनलाइन कारोबार बढ़ा है और मिल्क बास्केट का दैनिक ऑर्डर करीब 2.5 गुना बढ़ गया है. कंपनी में हर दिन करीब 100 साइनअप बढ़ रहे हैं.

अब कंपनियों की खरीद के बाजार में रिलायंस

इसके अलावा रिलायंस ग्रुप दवा की आपूर्ति करने वाले स्टार्टअप नेटमेड्स Netmeds और लिंजरी प्लेटफॉर्म ​जिवामे को भी खरीदने के लिए बातचीत में लगी है.

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इसके पहले ऐसी खबर भी आई थी कि चीन के टेक दिग्गज बाइटडांस के द्वारा संचालित ऐप टिकटॉक को भी रिलायंस खरीद सकती है. इस ऐप पर भारत में बैन लगा दिया गया है. इसके अमेरिकी कारोबार को बेचने की कोशिश चल रही है. इसी तर्ज पर टिकटॉक अपने भारतीय कारोबार को भी बेच सकती है.

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