8 नवंबर को नोटबंदी के फैसले से अर्थव्यवस्था में संचालित 500 और 1000 रुपये की करेंसी को गैरकानूनी करार दिया गया. इस करेंसी की जगह रिजर्व बैंक ने 2000 रुपये की नई करेंसी को संचालित करने का फैसला लिया. जहां अर्थव्यवस्था ने पुरानी करेंसी को निकालने के लिए एक तय समय की घोषणा की वहीं नई करेंसी के संचार पर भी लगाम लगाते हुए देश में बैंक और एटीएम से कैश विड्रॉवल पर लिमिट लगा दी थी.
बुधवार को इस साल की आखिरी मौद्रिक समीक्षा करने के बाद फैसला लिया कि वह अब नई करेंसी के संचार को तेज करने के लिए कैश विड्रॉवल पर लगे प्रतिबंधों को हटा लेगी. इसके लिए 20 फरवरी से सेविंग बैंक अकाउंट से निकासी लिमिट को मौजूदा 24,000 रुपये प्रति सप्ताह से बढ़ाकर 50,000 रुपये प्रति सप्ताह कर दिया है. वहीं 13 मार्च को देश में चुनाव प्रक्रिया खत्म होने के बाद कैश निकासी पर लगे सभी प्रतिबंध हट जाएंगे.
गौरतलब है कि रिजर्व बैंक समेत आर्थिक मामलों के कई जानकारों का मत है कि देश में जिस तेजी के साथ प्रतिबंधित करेंसी को बाहर किया गया उसी तेजी के साथ नई करेंसी के प्रवाह को बढ़ाया जाए. हालांकि रिजर्व बैंक ने लिमिट बढ़ाने और कैश निकासी पर प्रतिबंध को पूरी तरह खत्म करने के फैसले के बीच इस बात का खुलासा नहीं किया कि उसने 8 नवंबर के बाद से कुल कितनी नई करेंसी का संचार अर्थव्यवस्था में कर दिया है.
लिहाजा, अब 20 फरवरी के बाद कैश निकासी की बढ़ी हुई लिमिट और 13 मार्च के बाद सभी प्रतिबंधों को पूरी तरह से हटाने के फैसले के बाद भी यह नहीं कहा जा सकता है कि देश में कैश की किल्लत पूरी तरह से खत्म हो जाएगी.
इंडिया टुडे के संपादक अंशुमान तिवारी का मानना है कि रिजर्व बैंक के पास फिलहाल नई मुद्रा नहीं है. उसने ऐसे कोई आंकड़े जारी नहीं किए जिससे अर्थव्यवस्था ने प्रचार की जा चुकी नई करेंसी अनुमान लगे. लिहाजा आने वाले दिनों में इस फैसले से कोई विशेष राहत मिलने की उम्मीद नहीं है.