रियल एस्टेट सेक्टर के नियामक ने वन टाइम रिस्ट्रक्चरिंग की मांग की है. इसके लिए नियामक एक सप्ताह में रिजर्व बैंक को पत्र लिखेगा. उत्तर प्रदेश रेरा के चेयरमैन राजीव कुमार ने शनिवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि इससे डेवलपर्स को नकदी संकट से उबरने में मदद मिलेगी. बता दें कि उद्योग संगठन क्रेडाई और नारेडको डेवलपर्स के बकाया कर्ज के लिए वित्तीय संस्थानों से वन टाइम रिस्ट्रक्चरिंग की सुविधा देने को कह रहे हैं.
उनका कहना है कि इससे उद्योग का कर्ज एनपीए की श्रेणी में आने से बचेगा और साथ ही वे नया कर्ज लेने के भी पात्र हो सकेंगे. राजीव कुमार ने एक वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि परियोजनाओं को पूरा करने समय छह महीने बढ़ाने का फैसला घर खरीदारों के हित में लिया गया है. इससे उन्हें उनके फ्लैट का आवंटन सुनिश्चित हो सकेगा.
नकदी संकट का सामना कर रही इंडस्ट्री
कुमार ने बिल्डरों से कहा कि वे कोरोना वायरस महामारी के दौरान किस्तों के भुगतान में देरी के लिए फ्लैट खरीदारों पर किसी तरह का जुर्माना नहीं लगाएं. उन्होंने कहा, ‘‘उद्योग काफी समय से एक बड़े मुद्दे नकदी संकट का सामना कर रहा है. कई अटकी परियोजनाएं ऐसी हैं जो सरकार द्वारा बनाए गए 25,000 करोड़ रुपये के विशेष कोष से वित्तपोषण पाने की पात्र नहीं हैं.
ऑल इंडिया फोरम ऑफ रीयल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटीज (एआईएफओरेरा) ने वन टाइम रिस्ट्रक्चरिंग का मुद्दा रिजर्व बैंक के साथ उठाने का फैसला किया है. कुमार इस नए संघ के चेयरमैन हैं. उन्होंने बताया कि फोरम इस बारे में अगले सप्ताह रिजर्व बैंक को पत्र लिखेगा.
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कुमार ने बिल्डरों को आगाह किया कि वे प्राधिकरण द्वारा जारी आदेशों का अनुपालन करें, अन्यथा कानून के प्रावधानों के तहत उनपर कार्रवाई की जाएगी. यह पूछे जाने पर बिल्डरों को तो नियामकों से राहत मिल गई है, लेकिन फ्लैट खरीदारों को नहीं मिली है, इस पर कुमार ने कहा कि परियोजनाओं को पूरा करने का समय बढ़ाने का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि फ्लैट खरीदारों को उनके घर की चाबी मिल सके.