भारतीय रिजर्व बैंक ने क्रेडिट पॉलिसी का ऐलान कर दिया है. आरबीआई ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किए हैं.
आरबीआई ने कहा है कि मुद्रा बाजार में स्थिरता आने के बाद तरलता घटाने के लिए हाल में उठाए गए कदम वापस लिए जाएंगे. मौजूदा कारोबारी साल की पहली तिमाही समीक्षा घोषणा में रिजर्व बैंक ने मौजूदा कारोबारी साल के लिए विकास दर के अनुमान को 5.7 फीसदी से घटाकर 5.5 फीसदी कर दिया और कहा कि घरेलू और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकती है.
आरबीआई ने रिपर्चेज दर या रेपो दर को 7.25 फीसदी पर बरकरार रखा, इसके साथ ही रिवर्स रेपो दर भी 6.25 फीसदी के पुराने स्तर पर बनी रही. रेपो दर वह दर है, जिस पर बैंक आरबीआई से कर्ज लेते हैं, वहीं रिवर्स रेपो दर वह दर है, जिस पर आरबीआई बैंकों से उधार लेती है.
नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) को भी चार फीसदी पर बरकरार रखा गया. बैंक अपनी कुल जमा राशि का एक निश्चित अनुपात आरबीआई में जमा रखते हैं, इसे ही सीआरआर कहते हैं.
रिजर्व बैंक के गवर्नर डी. सुब्बाराव ने कहा, 'भारत अभी एक तिराहे पर खड़ा है, जहां बाहरी क्षेत्र की चिंताओं के कारण हमें अपने कुछ मौद्रिक नीति अधिकार को कुछ हद तक छोड़ना पड़ रहा है.'
उन्होंने कहा कि पिछले दो सप्ताहों में रिजर्व बैंक द्वारा तरलता घटाने के लिए उठाए गए कदमों का मकसद विदेशी मुद्रा बाजार की असामान्य अस्थिरता को रोकना था.
उन्होंने कहा, 'जब मुद्रा बाजार में स्थिरता आ जाएगी, तो इन कदमों को चरणबद्ध तरीके से वापस लिया जा सकता है, जिसके बाद मौद्रिक नीति को महंगाई पर चौकसी बरतते हुए विकासोन्मुख किया जा सकता है.'
गवर्नर ने यह भी कहा कि निवेश और जोखिम उठाने की प्रवृत्ति घटी है, साथ ही लागत तथा समय के बढ़ने से परिदृश्य खराब हुआ है, जिसके कारण नकदी का प्रवाह घटा है और भरोसे में कमी आई है.