आपकी लोन की किश्त कम होगी या नहीं, इसका फैसला जल्द होने वाला है. लेकिन महंगाई दर में कोई खास कमी न होने की वजह से ब्याज दरें घटने की उम्मीदों पर पानी भी फिर सकता है.
दरअसल, 1 अप्रैल को रिजर्व बैंक अपनी कर्ज नीति की समीक्षा करने जा रहा है. लगातार दबाव में चल रहे औद्योगिक विकास दर और देश की अर्थव्यवस्था धीमी होने की चिंताओं के चलते उम्मीद बन रही थी की रिजर्व बैंक विकास दर को सहारा देने के लिए ब्याज दरों को घटा सकता है. लेकिन चिंता है तो महंगाई दर की जो अगर नरम न पडी़ तो आरबीआई के लिए ब्याज दरें घटाना मुश्किल हो जाएगा.
फरवरी के आंकड़ों के मुताबिक महंगाई के एक पैमाने उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यानि सीपीआई अब भी 8 फीसदी से ज्यादा के स्तर पर है जो अगर न घटा तो ग्राहकों को कर्ज पर राहत खटाई में पड़ सकती है.
अर्थशास्त्री एस पी शर्मा कहते हैं, 'सीपीआई अब भी 8.1 फीसदी है. हालांकि ग्रोथ को बढ़ाने के लिए ब्याज दर घटानी चाहिए लेकिन अगर ये न हुआ तो ब्याज दरें ज्यों की त्यों रह सकती हैं.
पंजाब नेशनल बैंक के सीएमडी के आर कामथ का कहना है कि ब्याज दरों पर फैसला सीपीआई के स्तर पर निर्भर करता है. जनवरी में औद्योगिक विकास दर न के बराबर 0.1 फीसदी के स्तर पर थी. उसे बढ़ने के लिए सस्ता कर्ज एक अहम भूमिका निभा सकता है. जाहिर सी बात है कि रिजर्व बैंक के लिए फैसला आसान नहीं होगा क्योंकि ब्याज दरें कम करने से महंगाई दर में बढ़ोतरी का खतरा है.