भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को कहा कि कर्ज देने के लिए बैंकों की कैश मनी की जरूरतों को फिलहाल पूरा किया जा चुका है. लेकिन अर्थव्यवस्था में लिक्विडिटी (धन) की दिक्कत हुई तो केंद्रीय बैंक जरूरी कदम उठाएगा. दरअसल, नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (NPA)से जूझ रहे सरकारी बैंकों और छोटे एवं मझोले उपक्रमों (MSME)सेक्टर के प्रतिनिधियों से शक्तिकांत दास ने मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद उन्होंने ये बातें कहीं. शक्तिकांत दास ने कहा कि मंगलवार को मुंबई में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के साथ उनकी स्थिति पर बातचीत की जाएगी.
दास ने लिक्विडिटी पर कहा, ‘‘हम लगातार इसकी निगरानी कर रहे हैं. हमारा मानना है कि कुल मिला कर लिक्विडिटी की जरूरतें पूरी हो रही है.’’ उन्होंने कहा कि यदि इसमें दिक्कतें हुई तो रिजर्व बैंक कदम उठाएगा. उन्होंने पर्याप्त लिक्विडिटी बनाए रखने की प्रतिबद्धता जताते हुए कहा कि बाजार की जरूरतों के हिसाब से ही तरलता की मात्रा बढ़ाई जाएगी. एमएसएमई के साथ बैठक के बारे में दास ने कहा कि बैंकों को लोन के पुनर्गठन से पहले एमएसएमई की वहनीयता परखने के लिये कहा गया है.
RBI Governor Shaktikanta Das: We also have constituted a committee to look into the issues related to the Micro, Small and Medium Enterprises (MSMEs). We are looking at what kind of governance reforms can be brought about in the functioning of the banks. pic.twitter.com/IQCXoxYD5B
— ANI (@ANI) January 7, 2019
बैंकों के हालात में हो रहा सुधार
शक्तिकांत दास का मानना है कि सरकारी बैंकों की स्थिति में सुधार हो रहा है. बैंक नए लोन देने में पहले से ज्यादा सावधानी बरत रहे हैं. अब वह सरकारी बैंकों के गवर्नेंस सुधार के मुद्दे पर भी काम करेंगे.