केन्द्रीय रिजर्व बैंक की द्विमासिक और 8 नवंबर को नोटबंदी के फैसले के बाद पहली मॉनीटरी पॉलिसी घोषित करते हुए रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल ने रेपो रेट में किसी कटौती से मना कर दिया है. बाजार को उम्मीद थी कि नोटबंदी के दबाव से बाहर निकालने के लिए रिजर्व बैंक कम से कम 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर सकता है. लेकिन बाजार को मायूस करते हुए रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को 6.25 फीसदी पर बरकरार रखा है.
इससे पहले अक्टूबर में रिजर्व बैंक गवर्नर नियुक्त होने के बाद अपनी पहली समीक्षा में भी पटेल ने ब्याज दरों में 25 बेसिस प्वाइट की कटौती की थी.
पुरानी करेंसी की दिक्कतों से बैंकों को राहत
रिजर्व बैंक ने अपनी समीक्षा में बैंकों के लिए अहम फैलसा लिया है. नोटबंदी के बाद देश के बैंकों में एकत्रित हो रही पुरानी करेंसी की समस्या के चलते रिजर्व बैंक ने इंक्रीमेंटल सीआरआर 100 फीसदी कर दिया था. इसका मतलब रिजर्व बैंक ने बैंकों की करेंसी लेने से मना कर दिया था. आज मॉनिटरी पॉलिसी के जरिए रिजर्व बैंक ने अपने इस फैसले को वापस लेते हुए 10 दिसंबर से इंक्रीमेंटल सीआरआर को पूरी तरह खारिज कर दिया है.
नहीं घटेगी आपकी ईएमआई
नोटबंदी के बाद देश में बैंकों के सामने अतिरिक्त कैश की समस्या को देखते हुए रिजर्व बैंक ने उन्हें ब्याज दरों के जरिए किसी तरह की राहत देने से मना कर दिया है. लिहाजा, अब आपकी ईएमआई जस की तस बनी रहेगी.
सस्ते नहीं हुआ कर्ज
रेपो रेट बरकरार रखने के फैसले से अब बैंकों के लिए ब्याज दरों में कटौती करने का रास्ता नहीं खुला. माना जा रहा था कि नोटबंदी के बाद बढ़े हुए कैश से देश के बैंक आपना कारोबार बढ़ाने की कवायद करेंगे. लेकिन आज के फैसले के बाद अब वह पुरानी दरों पर ही कर्ज देने के लिए मजबूर हैं.
क्या है मौद्रिक समीक्षा
रिजर्व बैंक दो महीने के अंतराल पर देश की मॉनिटरी पॉलिसी को दो दिनों तक चलने वाली बैठक में तय करता है. इस बैठक में रिजर्व बैंक से 3 सदस्य और वित्तीय मामलों के 3 जानकार शामिल होते हैं. समीक्षा की अध्यक्षता खुद रिजर्व बैंक गवर्नर करते हैं.
क्या है रेपो रेट
रिजर्व बैंक देश के अन्य बैंकों को जिस ब्याज दर पर कर्ज देता है उसे रेपो रेट कहते हैं. बैंकों के लिए यह रेट अपने ग्राहकों को लोन का ब्याज तय करने के काम आता है. मॉनिटरी पॉलिसी में जब भी रेपो रेट में कटौती की घोषणा की जाती है तो इसका सीधा मतलब होता है कि अब आपके बैंक आपके तमाम तरह के कर्ज को सस्ता कर देंगे. मसलन, होम लोन, वेहिकल लोन इत्यादि कम दरों पर मुहैया होंगे.
क्या है रिवर्स रेपो रेट
देश के सभी बैंकों को एक निश्चित कैश के ऊपर एकत्रित सारा कैश रिजर्व बैंक के करेंसी चेस्ट में जमा कराना पड़ता है. रिजर्व बैंक इस रिवर्स रेपो रेट पर जमाए कराए गए कैश पर बैंको को ब्याज देता है. इसके माध्यम से रिजर्व बैंक बाजार में करेंसी की उपलब्धता को तय करता है.
क्या है सीआरआर (नकद आरक्षित अनुपात)
रिजर्व बैंक के नियम के मुताबिक सभी बैंकों को अपनी कुल नकदी का एक निश्चित हिस्सा रिजर्व बैंक के पास रखना होता है. इस निश्चित हिस्से को कैश रिजर्व रेशियो (सीआरआर) कहते हैं.
क्या है एसएलआर
देश के सभी कॉमर्शियल बैंकों को अपना कुछ पैसा सरकार के पास रखना होता है. सरकार इस पैसे का इस्तेमाल इमरजेंसी पड़ने पर कर सकता है. बैंकों का यह पैसा नकदी, सोना या फिर सरकार की सिक्योरिटी खरीद कर जमा किया जाता है.