आर्थिक नरमी से कुछ उबरने के बाद देश के संगठित खुदरा कारोबार करने वालों ने कहा कि आगामी बजट में इस क्षेत्र के लिए विदेश निवेश के मानदंडों को ढीला करने के अलावा इसके उद्योग का दर्जा दिया जाना चाहिए.
रिटेलर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी कुमार राजगोपालन ने कहा ‘खुदरा क्षेत्र को उद्योग का दर्जा देने की मांग काफी समय से लंबित है. इसके अलावा हम यह भी चाहते हैं कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के मानदंडों में ढील दी जाए.’
इसी तरह का विचार पेश करते हुए कुटोन्स रिटेल इंडिया के अध्यक्ष डीपीएस कोहली ने कहा ‘खुदरा क्षेत्र लंबे समय से उद्योग का दर्जा देने की मांग करती रही है क्योंकि तभी खुदरा कारोबारी संगठित वित्तपोषण, बीमा और राजकोषीय प्रोत्साहन का फायदा उठा सकेगी.’
उद्योग के आंकड़े के मुताबिक भारत के 450 अरब डॉलर के खुदरा क्षेत्र का सिर्फ पांच फीसदी हिस्सा संगठित है. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के मानदंडों में ढील देने की मांग करते हुए राजगोपालन ने कहा ‘भारत में किसी भी उद्योग ने एफडीआई की भागीदारी के बगैर नहीं बढ़ा है और जहां तक खुदरा क्षेत्र की बात है तो इसकी बड़ी भूमिका है और इसे और अधिक एफडीआई की मंजूरी दी जानी चाहिए.’