छोटे कारोबारी और पेशेवर सेवाएं देने वाले चाहते हैं कि वित्त मंत्री इस बार अपने बजट भाषण में उन्हें कारोबार की सालाना ऑडिट की शर्तों में कुछ ढील देने की घोषणा करें.
उल्लेखनीय है कि कारोबारियों को 60 लाख रुपये और विभिन्न पेशेवरों को 15 लाख रुपये के सालाना कारोबार पर अपने खातों का अनिवार्य ऑडिट कराने से छूट मिली हुई है. उद्योग जगत के लोगों और विशेषज्ञों को उम्मीद है कि बजट में यह सीमा बढ़कर एक करोड़ और 25 लाख रुपये की जा सकती है.
आर्थिक क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि महंगाई की मौजूदा स्थिति देखते हुये यह सीमा बढ़ाई जानी चाहिये. भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंडल महासंघ (फिक्की) के आर्थिक सलाहकार अंजन राय ने लगातार उच्चस्तर पर बनी महंगाई की स्थिति देखते हुये कहा कि यह सीमा बढ़ाई जानी चाहिये. इसके साथ ही इन वर्गों को कर मामले में भी अनुमानित कर भुगतान की सुविधा को जारी रखा जाना चाहिये.
पीएचडी मंडल की अर्थशास्त्री शोभा आहुजा ने भी इसकी वकालत करते हुये कहा कि छोटे उद्यमियों और व्यावसायियों के मामले में कागजी कार्रवाई को सरल रखा जाना चाहिये. उन्हें लेखा बही और ऑडिट के झंझट से मुक्त रखा जाना चाहिये, इसके साथ ही इसकी छूट सीमा को 60 लाख से बढ़ाकर एक करोड़ रुपये और डॉक्टर, वकील, चार्टर्ड एकाउंटेंट तथा दूसरे व्यक्तिगत स्तर पर पेशा करने वाले पेशेवरों के 25 लाख रुपये तक के कारोबार को भी लेखा परीक्षा से मुक्त रखा जाना चाहिये.