डॉलर की मांग बढ़ने से बुधवार को कारोबार के बीच में रुपया 60 के स्तर से नीचे गिरता हुआ अब तक के सबसे निम्न स्तर 60.35 रुपये प्रति डॉलर तक पहुंच गया.
रुपये के लगातार कमजोर होने से एक बार फिर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी होने की आशंका बढ़ गई है. गौरतलब है रुपये की कमजोरी के चलते तेल कंपनियों ने 16 जून को पेट्रोल की कीमतों में 2 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की थी जबकि 24 जून को सीएनजी और पीएनजी की कीमतों में इजाफा किया गया था. रुपये की इस गिरावट से आयातित वस्तुएं तो महंगी होंगी ही, साथ ही अगर तेल की कीमतों में इजाफा होता है तो इसका सीधा असर एक बार फिर आम आदमी की जेब पर पड़ना तय है.
अंतर बैंकिंग मुद्रा विनिमय बाजार में बुधवार को रुपये में धीमी शुरुआत हुई और जल्द ही यह 69 पैसे लुढ़ककर 60.35 रुपये प्रति डालर के नये सर्वकालिक निचले स्तर तक गिर गया.
विदेशी मुद्रा डीलरों ने बताया कि तेल कंपनियों और बैंकों की तरफ से लगातार डॉलर की मांग आ रही थी. स्थानीय शेयर और ऋण बाजार से विदेशी मुद्रा की लगातार निकासी के चलते रुपये की विनिमय दर लगातार गिरती जा रही है.
दुनिया के बाजारों में डालर की लगातार मजबूती से भी रुपया दबाव में बना हुआ है. बाजार में धारणा है कि डॉलर की मंदी थामने के लिये रिजर्व बैंक हस्तक्षेप कर सकता है.
कारोबारियों का कहना है कि भारी पूंजी निकासी तथा आयातकों की मासांत डालर मांग से रपया लुढ़कता चला गया और भारतीय रिजर्व बैंक का हस्तक्षेप भी इसे अधिक थाम नहीं सका.
सुबह रपया 59.74 रपये प्रति डालर पर कमजोर खुला. भारी डालर मांग के चलते यह 60.76 रपये प्रति डालर तक लुढ़कने के बाद अंतत: 60.72 रुपये प्रति डालर पद बंद हुआ. मंगलवार की तुलना में इसमें 106 पैसे की गिरावट रही. इससे पहले एक ही दिन में इससे बड़ी गिरावट 10 जून 2013 को रही थी जब यह 109 पैसे टूटा था. विदेशी संस्थागत निवेशकों ने शेयर बाजारों से मंगलवार को लगभग 550 करोड़ रुपये निकाल लियेः जून माह में अब तक कुल निकासी 9000 करोड़ रुपये रही है.
जियोजित कॉमट्रेड के मुख्य मुद्रा रणनीतिक हेमल दोषी ने कहा, भारतीय रिजर्व बैंक शुरआती कारोबार में 59.90 रुपये के स्तर पर 5-10 पैसे के दायरे में चल रहा था. लेकिन जैसे ही रुपये ने 60 के स्तर को छुआ इसमें तेज गिरावट शुरू हो गई. उन्होंने कहा कि जब तक सरकार तथा रिजर्व बैंक उपायों की घोषणा नहीं करते रुपये निकट भविष्य में 62-62.50 रुपये तक टूट सकता है.
अल्पारी फाइनेंसियल सर्विसेज के सीईओ प्रमित ब्रहम्भट्ट ने कहा, ‘रुपये रपये में खुली गिरावट रही. दुनिया की प्रमुख मुद्राओं के समक्ष डालर सूचकांक मजबूत रहा. यह तीन सप्ताह के उच्चस्तर पर रहा. हाजिर रुपये के लिये कारोबार का दायरा 60.30 से 61.10 रुपये रहने की उम्मीद है.’
स्टैण्डर्ड चार्टर्ड ने एक रिपोर्ट में कहा कि जून माह में रुपये में सात प्रतिशत से अधिक की गिरावट से नई चिंता खड़ी हुई है. ‘कमजोर रुपये से महंगाई का दबाव फिर बढ़ सकता है. इससे पूंजी प्रवाह तो धीमा तो पड़ेगा ही, राजकोषीय घाटा भी बढ़ेगा. चालू खाते के घाटे पर भी इसका सकारात्मक असर नहीं होगा. रुपये में लगातार अवमूल्यन से कारोबार धारणा भी प्रभावित होगी.’
कारोबारियों के अनुसार रिजर्व बैंक ने विभिन्न बैंकों के जरिये बाजार में हस्तक्षेप किया. जैसे ही रुपया 59.985 के स्तर पर पहुंचा रिजर्व बैंक ने डालर की बिकवाली की. लेकिन इसका बाजार पर ज्यादा असर नहीं हुआ. रुपये को लेकर पिछले कुछ समय से धारणा लगातार मंदी की स्थिति बनी हुई है. देश में बॉंड बाजार से लगातार धन की निकासी को रुपये में गिरावट की मुख्य वजह माना जा रहा है.
वैश्विक कारकों का भी रुपये पर दबाव बना हुआ है. रिजर्व बैंक ने मंगलवार के कारोबार के लिये डालर-रुपया संदर्भ दर 59.8538 रुपये और यूरो के लिये 78.2265 रुपये रखी. पौंड के मुकाबले रुपया 93.21 और प्रति 100 जापानी येन के मुकाबले और गिरकर 62.09 रुपये हो गया. यूरो के समक्ष भी यह गिरकर 78.34 से घटकर 79.05 रुपये पर बंद हुआ.