रुपया लगातार गिरावट के नए रेकॉर्ड बना रहा है. मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 70 के आंकड़े को भी पार कर गया. ऐसे में इसका असर कारोबारी जगत पर तो हो ही रहा है, विदेश में नौकरी या पढ़ाई के लिए जाने वाले लोगों, एनआरआई, विदेश से आने वाले धन पर निर्भर लोग, विदेश में पर्यटन या चिकित्सा के लिए जाने वाले लोग भी प्रभावित हो रहे हैं.
इस साल 1 जनवरी को डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 63.38 के स्तर पर था. इसके बाद से इसमें ज्यादातर गिरावट का ही दौर देखा गया. मंगलवार को शुरुआती कारोबार में रुपया अपने ऐतिहासिक निचले स्तर 70.08 पर पहुंच गया. इस साल की शुरुआत से रुपये में अब तक 10 फीसदी और इस महीने में अब तक 2.4 फीसदी की गिरावट आ चुकी है.
रुपये में गिरावट से विदेश में रहने या जाने वाले भारतीयों में से कुछ को नुकसान हो रहा है तो कुछ को इसका फायदा भी होगा. आइए जानते हैं कि इसका किसे फायदा और किसे नुकसान होगा, तथा ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाने और नुकसान कम करने के लिए क्या करना चाहिए.
फायदा हासिल करने वाले क्या करें?
आप यदि विदेश में काम करते हैं और आपको डॉलर में सैलरी मिलती है, या किसी भी अन्य मुद्रा में जो रुपये के मुकाबले मजबूत है, तो आपको ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाने की कोशिश करनी चाहिए. आपने यदि भारत में फॉरेन करेंसी नॉन रीपार्टिएबल अकाउंट (FCNR) के द्वारा निवेश किया है और आपके जमा राशि की परिपक्वता अवधि आ चुकी है, तो आप अपने विदेशी मु्द्रा बचत को भारतीय रुपये में बदल लें.
बोनांजा पोर्टफोलियो में वेल्थ मैनेजमेंट ऐंड फाइनेंशियल प्लानिंग के हेड अचिन गोयल ने कहा, 'भारत से बाहर रहने वाले किसी भी व्यक्ति को, चाहे वह एनआरआई हो या वहां नौकरी करने वाला भारतीय, अगर उसने भारत में निवेश किया है तो रुपये में गिरावट से उसे अच्छा फायदा मिलेगा, जब वह अपना पैसा निकालेगा.'
रुपये में गिरावट के इस मौके का फायदा उठाते हुए आपको अपनी 50 से 60 फीसदी बचत को भारतीय रुपये में बदल लेना चाहिए.
नुकसान उठा रहे लोग क्या करें
जिन लोगों को अपनी तात्कालिक जरूरतों के लिए डॉलर में खर्च करना है, उन्हें रुपये में गिरावट से नुकसान होगा. आइए जानते हैं कि नुकसान उठाने वाले लोगों को अपना नुकसान कम से कम करने के लिए क्या करना चाहिए.
विदेश में पढ़ने वाले स्टूडेंट
रुपये में गिरावट से विदेश में पढ़ने वाले स्टूडेंट का खर्च बढ़ जाएगा. उन्हें अपने रहन-सहन पर ज्यादा खर्च करना होगा. नए जाने वाले स्टूडेंट के लिए खर्च तो बढ़ेगा ही, पहले से पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट्स को भी अपनी आने वाले समेस्टर की फीस के लिए ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ेगा. फिनवे कैपिटल के सीईओ रचित चावला कहते हैं, 'भविष्य में ऐसी दिक्कतों से बचने के लिए वे रुपया-डॉलर करेंसी फ्यूचर खरीद कर अपने डॉलर में खर्च को हेज कर सकते हैं.' हेज का मतलब जोखिम से बचना होता है. इसके लिए वे किसी वित्तीय सलाहकार की मदद ले सकते हैं.
यही नहीं, यदि सुविधा मिले तो वे भविष्य के एजुकेशन फीस का भुगतान अभी कर सकते हैं, ताकि रुपये में और गिरावट के जोखिम का सामना किया जा सके. पेरेंट्स यह बात गौर कर सकते हैं कि जब भी रुपये में मजबूती आए, वे उसी समय अपने बच्चे के खर्च के किश्त की रकम उसके खाते में डाल दें. बढ़े खर्च से निपटने के लिए स्टूडेंट कुछ पार्ट टाइम जॉब या स्कॉलरशिप की तलाश भी कर सकते हैं. उन्हें ऐसे एजुकेशन लोन की तलाश करनी चाहिए जिसमें सेमेस्टर फीस में बढ़त के साथ ही लोन की राशि भी बढ़ जाए.
विदेश यात्रा करने वाले लोग
विदेश यात्रा करने वाले या उसकी तैयारी करने वाले लोग भी रुपये में गिरावट से प्रभावित होंगे. रुपये में गिरावट की वजह से विदेश यात्रा पर होने वाली खर्च के अचानक बढ़ जाने से बचने के लिए यात्री किसी टूर का एडवांस बुकिंग कर सकते हैं और उसके लिए अग्रिम भुगतान कर सकते हैं. इसके अलावा आपको प्रीपेड ट्रैवल कार्ड का भी लाभ उठाना चाहिए.
चिकित्सा के लिए जाने वाले लोग
विदेश में इलाज के लिए जाने वाले लोगों पर भी रुपये के गिरावट का असर पड़ेगा. यदि विदेश में उपचार के लिए हेल्थ इंश्योरेंस कवर नहीं है तो खर्च काफी बढ़ सकता है. ऐसे में इस तरह का हेल्थ इंश्योरेंस लेना एक अच्छा विकल्प है.