सप्ताह का पहला कारोबारी दिन सोमवार भारतीय बाजारों के लिए बहुत बेहतर नहीं दिख रहा है. एक तरफ सेंसेक्स और निफ्टी ढलान पर हैं तो रुपया भी कमजोर है. इस कमजोरी का यह आलम रहा कि शुरुआती कारोबार में ही अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया नौ पैसे टूटकर 63.56 पर आ गया. जबकि रुपया शुक्रवार के कारोबार के दौरान 63.47 पर बंद हुआ था.
क्यों गिरा रुपया?
मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि साल के अंत तक अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी की उम्मीद हैं. इस खबर से डॉलर की आचानक मांग बढ़ गई है और इसका असर रुपये पर भी पड़ रहा है. डॉलर की मांग अगर ऐसे ही बढती रही तो डॉलर और मजबूत होता रहेगा और रुपया कमजोर.
व्यपारिक मोर्चा भी कमजोर
कारोबारियों ने रुपये की गिरावट के बारे में बताया कि आयातकों की ओर से डॉलर की मांग बढ़ने और घरेलू इक्विटी बाजार की नरम शुरुआत का भी रुपये पर दबाव पड़ा.
पिछले सप्ताह जरी हुए आंकड़ों में निर्यात की हालत खाराब दिख रही है. 7 महीनों से निर्यात में लगातार हो रही गिरावट का सिलसिला जून में भी बरकरार रहा. जून में निर्यात करीब 15.8 फीसदी गिर गया और करीब 22.29 अरब डॉलर का नुकसान रहा.
रिकवरी के हैं आसार
अगर उसी डेटा पर ध्यान दें तो ट्रेड डेफिसिट में कमी नजर आती है. जून में ट्रेड डेफिसिट में करीब 1 अरब डॉलर की मजबूती आई है. ऐसे में रुपये में रिकवरी से मना भी नहीं किया जा सकता.