डॉलर के मुकाबले रुपया गिरते रुपये को लेकर भले ही कुछ लोग चिंतित हों, लेकिन एसबीआई की चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य का मानना है कि रुपया अभी और गिरना चाहिए. फिलहाल रुपया डॉलर के मुकाबले दो साल के सबसे निचले स्तर पर है.
इसलिए जरूरी है गिरावट
अरुंधति ने कहा कि घरेलू निर्यातकों की मदद के लिए रुपये में और गिरावट आना जरूरी है. वरना निर्यात पूरी तरह अव्यवहारिक हो जाएगा. चीन की मुद्रा युआन के अवमूल्यन के बाद समानता बनाए रखने के लिए जरूरी है कि रुपये को और गिरने दिया जाए. डॉलर के मुकाबले रुपया सोमवार को 36 पैसे टूटकर 66.82 पर बंद हुआ.
भारत ने 1991 में किया था अवमूल्यन
भारत ने आखिरी बार रुपये का अवमूल्यन जुलाई 1991 में किया था. तब देश के पास केवल करीब 50 करोड़ डॉलर विदेशी मुद्रा का भंडार बचा था और सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष से 2.2 अरब डॉलर का बेलआउट पैकेज मांगा था.