'बाप बड़ा ना भैया, सबसे बड़ा रुपैया' की कहावत तो हर किसी ने सुनी होगी. इसी रुपये की शान में लगातार बट्टा लगता जा रहा है. अमेरिकी डॉलर के मुकाबले इसकी कीमत गिरकर अब तक के निचले स्तर पर पहुंच चुकी है. ऐसे में कुछ सेक्टरों में लोगों के माथे पर शिकन है, जबकि डॉलर पाने वालों की बांछें खिली हुई हैं.
जिनके चेहरे पर होगी शिकन
रुपये का भाव गिरने से बहुत-सी कंपनियों पर इसका बुरा असर पड़ रहा है. खासकर कच्चा माल आयात करने वाली कंपनियां घाटे में रहेंगी. हिसाब बिलकुल सीधा-सा है. रुपया कमजोर होने से कच्चा माल आयात करने वाली कंपनियों की लागत और बढ़ जाएगी, जिससे उनका मुनाफा घट जाएगा. इस तरह की कंपनियों की सूची में तेल कंपनियों सबसे ऊपर आती हैं.
तेल कंपनियों को कच्चे तेल की खरीद डॉलर में करनी पड़ती है. यही वजह है कि चढ़ते डॉलर से तेल कंपनियों का मुनाफा कम हो जाएगा. आंकड़ों के मुताबिक, डॉलर के मुकाबले रुपया यदि 1 रुपये तक कमजोर होता है, तो तेल कंपनियों को करीब 9,000 करोड़ रुपये का घाटा झेलना पड़ता है.
डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट का ही असर है कि टोयोटा और जनरल मोटर्स सहित कई वाहन कंपनियां गाडि़यों के दाम बढ़ाने पर विचार कर रही हैं. रुपये में गिरावट का वाहन कंपनियों पर खराब असर पड़ता है. ऐसी कंपनियां करीब 50 फीसदी कल-पुर्जे का भी आयात करती हैं.
जिनके चेहरे पर तैरेगी मुस्कान
रुपया कमजोर होने से कुछ सेक्टरों में खुशी की लहर पैदा होना लाजिमी है. माल निर्यात करने वाली कंपनियों को इससे फायदा होना तय है. अन्य सेक्टरों में भी जिनकी आमदनी डॉलर में होती है, उन्हें फायदा होगा.
आईटी, फार्मा, होटल आदि कुछ ऐसे सेक्टर हैं, जिनका मुनाफा डॉलर के ऊपर चढ़ने से बढ़ेगा.
यहां खास बात यह है कि रुपये की कमजोरी से ओएनजीसी और रिलायंस इंडस्ट्रीज को फायदा होने की उम्मीद है, क्योंकि ये कंपनियां अपने ग्राहकों को नेचुरल गैस डॉलर में बेचती हैं.
गौरतलब है कि एक डॉलर की कीमत करीब 60 रुपये हो गई है. रुपये का यह अब तक का न्यूनतम स्तर है.