सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह के मुखिया सुब्रत रॉय की उस याचिका पर आज सुनवाई पूरी कर ली, जिसमें रॉय ने निवेशकों की बीस हजार करोड़ रुपये से अधिक की रकम नहीं लौटाने से संबंधित मामले में उन्हें जेल भेजने के कोर्ट के निर्णय को चुनौती दी गई.
न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जेएस खेहड़ की दो सदस्यीय खंडपीठ ने सुब्रत और दो निदेशकों की जमानत के लिए दस हजार करोड़ रुपये का भुगतान करने के सहारा के प्रस्ताव पर भी विचार करने की सहमति दे दी है. रॉय और दो निदेशक चार मार्च से तिहाड़ जेल में बंद हैं.
इस मामले में यह पीठ बाद में फैसला सुनाएगी. सहारा समूह ने अपने नए प्रस्ताव में आज कोर्ट को भरोसा दिलाया कि वह तीन से चार कार्य दिवसों के भीतर ही तीन हजार करोड़ रुपये का भुगतान करेगा और दो हजार करोड़ रुपये नकद 30 मई तक दे देगा.
20 जून से पहले बैंक गारंटी देने का वादा
समूह ने यह भी कहा है कि वह 20 जून से पहले पांच हजार करोड़ रुपये की बैंक गारंटी भी दे देगा. शीर्ष कोर्ट ने इससे पहले कहा था कि यदि रॉय दस हजार करोड़ रुपये का भुगतान करें तो उन्हें जमानत पर छोड़ दिया जाएगा. इस राशि में से पांच हजार करोड़ रुपये बैंक गारंटी के रूप में और शेष रकम नकद जमा करानी थी.
चार मार्च से हैं न्यायिक हिरासत में
रॉय और समूह के दो निदेशक निवेशकों के बीस हजार करोड़ रुपये बाजार नियामक सेबी के पास जमा कराने के शीर्ष अदालत के आदेश पर अमल नहीं करने के कारण चार मार्च से न्यायिक हिरासत में हैं. सहारा समूह का कहना था कि रॉय को तत्काल रिहा किया जाए ताकि वह शीर्ष अदालत के आदेश का पालन करने के लिए धन की व्यवस्था करने के लिए लोगों से बातचीत कर सकें.
बैंक खातों पर लगी रोक हटाने का किया अनुरोध
सहारा ने बैंक खातों पर लगी पिछले साल 21 नवंबर से लगी रोक हटाने का भी अनुरोध किया था. इस बीच, सेबी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने सहारा की विभिन्न कंपनियों की लेखा पुस्तकों पर सवाल उठाए, जिसका सहारा ने पुरजोर विरोध किया. रॉय ने इससे पहले दलील दी थी कि निवेशकों का बीस हजार करोड़ रुपया सेबी के पास जमा नहीं कराने के कारण उन्हें हिरासत में रखने का शीर्ष अदालत का आदेश गैर कानूनी और असंवैधानिक है और उन्होंने इस आदेश को निरस्त करने का अनुरोध किया था.