भारत के मोबाइल फोन बाजार में जबरदस्त जंग छिड़ गई है और देसी कंपनियां तेजी से आगे बढ़ रही हैं. भारतीय मोबाइल फोन निर्माता कंपनी माइक्रोमैक्स हालांकि अभी भी दूसरे स्थान पर है लेकिन वह अपना गैप भरती जा रही है. यानी थोड़े समय में वह देश की नंबर वन मोबाइल फोन निर्माता कंपनी भी बन सकती है.
मार्केट रिसर्च फर्म आईडीसी के मुताबिक, अगली तिमाही में भारत में पहली पांच कंपनियों की रैंकिंग में उथल-पुथल हो सकती है. ऐसा इसलिए संभव हो सकता है कि भारतीय और चीनी कंपनियां बहुत ही आक्रामक ढंग से अपने हैंडसेट बेच रही हैं और बाजार पर अपनी पकड़ मजबूत करती जा रही हैं. ये कंपनियां सस्ते दामों वाले स्मार्टफोन बड़े पैमाने पर बेचती जा रही हैं और लोकप्रियता हासिल कर रही हैं.
आईडीसी के मुताबिक, सैमसंग अब भी भारत में पहले नंबर की कंपनी है और उसका वर्चस्व बना हुआ है लेकिन माइक्रोमैक्स ने उसे जबरदस्त टक्कर दी है. आईडीसी के दक्षिण एशिया के वाइस प्रेसिडेंट जयदीप मेहता ने कहा कि अपनी स्थिति बनाए रखने के लिए सैमसंग को एक जबरदस्त उत्पाद पेश करना ही होगा.
इस तिमाही में मोबाइल बाजार में सैमसंग का हिस्सा 17 फीसदी का रहा है जबकि इसकी पिछली तिमाही में यह 20 फीसदी था. दूसरी ओर भारतीय कंपनी माइक्रोमैक्स का हिस्सा 13 फीसदी से बढ़कर 14 फीसदी हो गया है.
स्मार्टफोन बाजार में सैमसंग अभी काफी आगे है और पिछली तिमाही में उसके पास बाजार का 29 फीसदी रहा जबकि उसके पहले यह 35 फीसदी था. माइक्रोमैक्स जो पहले 15 प्रतिशत के साथ था, पिछली तिमाही में 18 प्रतिशत शेयर के साथ दूसरे स्थान पर बना हुआ है.
एक अन्य भारतीय कंपनी कार्बन का बाज़ार हिस्सा गिरता ही जा रहा है जबकि लावा का हिस्सा स्थिर है और वह बाजार के 6 प्रतिशत हिस्से के साथ चौथे स्थान पर है. समझा जा रहा है कि वह कुछ ही समय में कार्बन को पीछे छोड़ सकता है.
उधर चीनी कंपनियां जैसे शियाओमी, जियोनी और ओप्पो सस्ते स्मार्टफोन से ग्राहकों को रिझा रही हैं. वे सस्ते स्मार्टफोन ला रही हैं और बाजार पर पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही हैं.