अगर आप नया घर या अपना आशियाना खरीदने की सोच रहे हैं, तो आपके लिए खुशखबरी है. देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने त्यौहारी स्कीम के तहत ब्याज दरों में कटौती करने का ऐलान कर दिया है. अब घर खरीदने के लिए होम लोन आपको 6 साल पुराने (2001) ब्याज दर पर मिलेगा.
घर खरादने का यह सही समय इसलिए है, क्योंकि देश के रिएल एस्टेट सेक्टर में बड़ी फेरबदल करने की पूरी तैयारी की जा चुकी है. ग्राहकों का एक बड़ा तबका सशक्त किया जा चुका है. रिएल एस्टेट मार्केट में फर्जीवाड़े को पकड़ने के लिए पूरी व्यवस्था हो चुकी है. मकान खरीदने की रजिस्ट्री प्रक्रिया को बेहद सरल किया जा चुका है. सबसे अहम कि देश के सभी महानगरों में बड़ी संख्या में मकान बनकर तैयार खड़ें हैं, जिन्हें सिर्फ ग्राहकों का इंतजार है.
रिएल एस्टेट सेक्टर को मंदी से उबारने की तैयारी
वैश्विक सुस्ती और घरेलू बाजार में ऊंची दरों के चलते देश का रियल एस्टेट सेक्टर बीते कई वर्षों से मंदी के दौर से गुजर रहा है. यह मंदी केंद्र सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है. सस्ते घर का चुनावी वादा उसे निभाना है. लिहाजा जरूरी है कि घरेलू बाजार में घर उचित आंकलन पर बिकना शुरू हो. देश के बड़े शहरों में घरों की सेल आमतौर पर मार्केट रेट से 20 से 25 फीसदी अधिक दरों पर होती है. लिहाजा, सरकार की कोशिश रियल एस्टेट मार्केट में इस प्राइस करेक्शन के साथ मौजूदा खरीदारों तक पहुंचकर अपना वादा निभाने की है.
सशक्त किए गए भावी ग्राहक
केंद्र सरकार ने कुछ महीने पहले ही केंद्रीय कर्मचारियों के लिए सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को मंजूर किया है. अब वक्त आ गया है कि इन कर्मचारियों को इसका फायदा मिलना शुरू होगा. इन कर्मचारियों में एक बड़ा तबका अपने लिए घर खरीदेंगे. इसके लिए जरूरी है कि इन कर्मचारियों को सस्ता कर्ज मिले और इनके पास नकद राशि भी मौजूद रहे. सातवें वेतन आयोग ने इस तबके को सशक्त किया है और बदले में बाजार को उम्मीद है कि यह तबका घर की डिमांड को मजबूत करेगा.
ट्रांसपैरेंट डील (रिएल एस्टेट कानून)
संसद ने हाल ही में रियल एस्टेट के लिए सेबी (शेयर बाजार नियामक) की तर्ज पर नियामक का प्रावधान किया है. इन कोशिशों के चलते रियल एस्टेट मार्केट में मौजूद कई तरह के रिस्क कम होंगे. घर की डील में ग्राहकों के हितों की रक्षा करने के कड़े प्रावधान मौजूद हैं. साथ ही धांधली का सहारा लेने वाले बिल्डर और कारोबारियों पर नियामक समेत सरकार की कड़ी नजर रहेगी. वहीं, इसका एक बड़ा फायदा रियल एस्टेट मार्केट में ब्लैकमनी फ्री डील के तौर पर सामने आएगा.
ईजी ऑफ रजिस्ट्री
देश में मकान खरीदने और बेचने का काम (मकान की रजिस्ट्री) वह राज्य सरकार करती है जिसकी लैंड पर वह मकान मौजूद है. रजिस्ट्री में लगने वाली फीस राज्य सरकार की आय होती है. वहीं बीते कई वर्षों से चल रही कोशिश से मौजूदा समय में देश के लैंड रिकॉर्ड का डिजिटेलाइजेशन पूरा किया जा चुका है. इसका सीधा फायदा रजिस्ट्री की प्रक्रिया को आसान और विश्वसनीय बना चुका है. सस्ते लोन और बड़े खरीदारों को देखते हुए राज्य सरकारें अपनी आय बढ़ाने की उम्मीद पर रजिस्ट्री की फीस में कटौती कर देतें है. इससे घर खरीदना और आसान और सस्ता बन जाता है.
बड़ी इंवेंट्री
बीते कुछ वर्षों से देश के महानगरों में घर की बिक्री में गिरावट रही है. इसके चलते रियल एस्टेट मार्केट में तैयार घरों की बड़ी खेप (इंवेंट्री) मौजूद है. जहां कुछ महीनों पहले तक महंगा लोन और सस्ते घर की उम्मीद के चलते घर नहीं बिके वहीं बड़ी इंवेंट्री ने बिल्डर पर उचित दरों पर मकान बेचने का दबाव बनाया. अब ब्याज दरों में कटौती और ग्राहकों की बड़ी संख्या को देखते हुए बिल्डरों की कोशिश उचित दर पर अपनी इंवेंट्री को खत्म करने की होगी. लिहाजा, रियल एस्टेट मार्केट में यह सबसे मुफीद समय है जब आप मकान ही मकान और ऑफर ही ऑफर की होर्डिंग के प्रति आकर्षित हो और अपना मकान खरीदें. बड़ी संख्या में घर हैं, जो सस्ते हैं और आपके साथ कानून है.