सार्वजनिक क्षेत्र के दो बड़े बैंकों ने उनके पास जमा सोने के एक हिस्से को नकद आरक्षित अनुपात (CRR) अथवा सांविधिक तरलता अनुपात (SLR) का हिस्सा माने जाने की वकालत की. बैंक इन दोनों ही मदों में रखे जाने वाले धन को गैर-उत्पादक मानते हैं.
रत्न व आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद के बैंकिंग सम्मेलन में भारतीय स्टेट बैंक की चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य ने कहा, ‘क्या यह संभव है कि नियामक हमारे पास जमा सोने के कुछ हिस्से को सीआरआर अथवा एसएलआर के तौर पर समझें.’ उन्होंने जोर देकर कहा कि सोना आयात बढ़ने से हाल में चालू खाते के घाटे पर दबाव बढ़ा है, ऐसे में देश में उपलब्ध सोने का बेहतर इस्तेमाल करने और इसे और अधिक तरलता का रूप देने की आवश्यकता है.
अरुंधति ने दावा किया कि स्वर्ण जमा योजना में स्टेट बैंक सबसे आगे है और बैंक उसके पास उपलबध सोने को किसी उत्पादक कार्य में लगाने को लेकर माथापच्ची में लगा हुआ है.
अपनी मांग दोहराते हुए उन्होंने कहा, ‘हमने देखा कि जितना सोना हमें मिला है, हम उस पूरे सोने का इस्तेमाल नहीं कर पाए हैं. इस मामले में हमें किसी तरह का प्रोत्साहन नहीं है, ताकि हम आगे बढ़ें और ज्यादा सोना जमा के रूप में स्वीकार करें, जिसमें सोने को अधिक इस्तेमाल करने लायक बनाया जा सके.’
बैंकों को अपनी कुल जमा राशि का 4 प्रतिशत सीआरआर के रूप में रिजर्व बैंक के पास रखना होता है. इस राशि पर उन्हें कोई ब्याज नहीं मिलता है. दूसरी तरफ बैंकों को अपनी जमा का 22.5 प्रतिशत SLR के तहत अनिवार्य रूप से सरकारी बॉण्ड तथा अन्य तरल संपत्तियों जैसे मान्यता प्राप्त बॉण्डों में लगाना होता है.
अरुंधति की बातों से सहमति जताते हुए बैंक आफ बड़ौदा के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक एसएस मुंदड़ा ने कहा कि बैंकों के पास जमा सोने को सीआरआर तथा एसएलआर का हिस्सा माना जाना ठीक होगा. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘जब बैंकों के पास सोना है, तो इसका मूल्य है. मुझे लगता है कि इसे सीआरआर, एसएलआर के अंतर्गत लाना सही है. हम सोने को उत्पादक कार्यों में लगाने की बात कर रहे हैं. जो सोना उपलब्ध है, उसे हम उत्पादक कार्यों में लगा सकते हैं.’
हालांकि, दोनों बैंकों के पास कितना सोना जमा है, उसका तुरंत कोई ब्योरा नहीं मिल सका. स्टेट बैंक के एक के बाद एक जितने भी प्रमुख हुए, वे शून्य ब्याज दर पर सीआरआर को लेकर अपना विरोध प्रकट करते रहे हैं. स्टेट बैंक के पूर्व अध्यक्ष प्रतीप चौधरी ने भी सीआरआर समाप्त करने की वकालत की थी.
इसी कार्यक्रम में वित्तीय सेवा सचिव जीएस संधु ने कहा कि मंत्रालय को जमा सोने के बेहतर उपयोग के लिये कई ज्ञापन मिले हैं और वह सक्रियता से इस पर गौर कर रहा है.
उन्होंने पीली धातु के आयात को कम करने में मदद के लिए लोगों के पास पड़े सोने के उपयोग की जरूरत पर बल दिया, ताकि सोने के आयात को कम किया जा सके और विदेशी मुद्रा पर दबाव घट सके. इसकी वजह से चालू खाते के घाटे पर दबाव बढ़ता है.