राजधानी दिल्ली में बढ़ रहे प्रदूषण पर सख्त कदम उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 2000 सीसी से ज्यादा एसयूवी और लग्जरी गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने आदेश दिया है कि 31 मार्च 2016 तक दिल्ली में 2000 सीसी से ज्यादा की इंजन क्षमता वाली डीजल गाडि़यों का रजिस्ट्रेशन नहीं किया जाएगा. इसके साथ ही 2005 से पहले के पंजीकृत वाहनों को दिल्ली एनसीआर में बैन कर दिया गया है.
ग्रीन टैक्स हुआ दोगुना
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में बाहरी राज्यों से आने वाले हल्के कमर्शियल वाहनों से लिए जाने वाले ग्रीन टैक्स को 700 से बढ़ाकर 1400 रुपये कर दिया है, वहीं भारी कमर्शियल वाहनों से लिए जाने वाले ग्रीन टैक्स को 1300 से बढ़ाकर 2600 रुपये कर दिया है.
टैक्सी सिर्फ सीएनजी से चलेंगी
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया है कि दिल्ली में चलने वाली सभी टैक्सियां अब CNG से चलेंगी. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को सभी नियम सख्ती से लागू करने का भी आदेश दिया है.
खुले में कूड़ा जलाने पर रोक
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में खुले में कूड़ा नहीं जलाने के कानून पर भी सख्ती से पालन करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि कंस्ट्रक्शन साइट्स पर ऐसे सभी उपाय किए जाएं ताकि धूल गर्द हवा में ना उड़े. दिल्ली में सड़कों की वैक्युम क्लीनिंग की जाए. इसके अलावा दिल्ली के आस पास के राज्यों में फसल को जलाने पर पूरी तरह रोक लगेगी.
इन गाड़ियों पर पड़ेगा असर
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से फोर्स मेकन, टोयोटा कैमरी, फोर्स वन एसयूवी, बीएमडब्लू जेड 4 ऑडी क्यू एस, टाटा सूमो, टाटा सफारी, टाटा आरिया, शेवरले की ट्रेलब्लेजर, हुंडई सांता और जगुआर एक्स एफ जैसी तमाम गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन पर असर पड़ेगा.
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया है कि दिल्ली के रास्ते दूसरे राज्यों को जाने वाली कमर्शियल गाड़ियां अब दिल्ली में नहीं दाखिल हो सकेंगी. आदेश में यह भी कहा गया है कि दिल्ली के सभी 9 एंट्री पॉइंट्स पर टोल कंपनीज आर.एफ़.आई.डी टैग लगाए.
तीन महीने बाद समीक्षा
सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला फिलहाल 3 महीने के लिए मान्य होगा. इस दौरान इसका कितना असर हुआ इसकी समीक्षा सुप्रीम कोर्ट तीन महीने बाद करेगा. लेकिन इससे पहले कुछ और मुद्दों पर सुनवाई के लिए कोर्ट ने 5 जनवरी 2016 की तारीख तय कर दी है.
हाल के दिनों में ये देखा गया है कि सुप्रीम कोर्ट पर्यावरण के जिस मामले पर सुनवाई कर रहा होता है तकरीबन उसी पर या उससे मिलते जुलते मामले पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल या कोई और कोर्ट फैसला दे देता है. शायद इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस फैसले में साफ कर दिया है कि उसका फैसला सर्वोपरी है और सरकार को किसी और ट्रिब्यूनल या कोर्ट के फैसले से भ्रमित होने की जरुरत नहीं है.
क्या है फैसले में अहम :