भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI)ने स्कूलों से कहा है कि बच्चों के दाखिले से पहले 12 अंकों वाली बायोमीट्रिक संख्या मुहैया कराने की शर्त नहीं रखें. यूआईडीएआई ने चेतावनी देते हुए कहा कि ऐसा करना उच्चतम न्यायालय के हालिया आदेश के खिलाफ होगा. यूआईडीएआई ने यह चेतावनी ऐसे समय में दी है जब दिल्ली के 1,500 से अधिक निजी स्कूलों में नर्सरी और प्रवेश स्तर की अन्य कक्षाओं के लिए दाखिले की प्रक्रिया शुरू हुई है.
क्यों दी चेतावनी
ऐसी खबरें हैं कि कुछ स्कूल दाखिले के लिए आवश्यक दस्तावेजों के नाम पर आधार की भी मांग कर रहे हैं. यूआईडीएआई ने कहा है कि उसे भी इस तरह की खबरें मिली हैं. यूआईडीएआई के सीईओ अजय भूषण पांडेय ने कहा, ‘‘यह ठीक नहीं है. यह कानून के प्रावधानों के अनुसार नहीं है. स्कूलों में दाखिले तथा बच्चों की अन्य सुविधाओं के लिये आधार मुहैया कराना अनिवार्य नहीं किया जा सकता है.’’ यूआईडीएआई ने स्कूलों तथा उनके प्रबंधन को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि किसी भी बच्चे को आधार के चलते दाखिले से वंचित नहीं रहना पड़े.
प्रवेश के बाद आधार कार्ड बनवाया जाए
उन्होंने कहा, ‘‘स्कूलों को चाहिए कि वे बच्चों को बिना आधार के प्रवेश दें और यह सुनिश्चित करें कि प्रवेश के बाद विशेष शिविर लगाकर उनका आधार कार्ड बनवाया जाए.’’ यह पूछे जाने पर कि आधार की मांग पर अड़े रहने वाले स्कूलों के खिलाफ किस तरह की कार्रवाई होगी, पांडेय ने कहा कि यह सीधा-सीधा उच्चतम न्यायालय के आदेश की अवहेलना होगी.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर में फैसला सुनाते हुए आधार कार्ड को संवैधानिक तो बताया लेकिन इसकी अनिवार्यता पर सवाल खड़े किए. कोर्ट के आदेश के बाद स्कूलों और अलग-अगल परीक्षाओं में आधार की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया है. इसके अलावा मोबाइल नंबर लेने, बैंक खाता खुलवाने के लिए आधार कार्ड का होना अनिवार्य नहीं रह गया है. हालांकि आयकर रिटर्न भरने के लिए आधार कार्ड अभी भी जरूरी है.