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महिला निदेशकों की नियुक्ति से क्यों कतरा रहीं हैं पीएसयू

बाजार नियामक सेबी ने सरकार से कहा है कि वह केंद्रीय सार्वजनिक कंपनियों (CPSE) में महिला व स्वतंत्र निदेशकों के सभी खाली पड़े पदों पर नियुक्तियां करे. हाल ही में सेबी ने सभी सूचीबद्ध कंपनियों (सार्वजनिक या निजी) को अपने निदेशक मंडल में कम से कम एक महिला निदेशक नियुक्त करना था और इसकी समयसीमा 31 मार्च 2015 को समाप्त हो गई थी.

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बाजार नियामक सेबी ने सरकार से कहा है कि वह केंद्रीय सार्वजनिक कंपनियों (CPSE) में महिला व स्वतंत्र निदेशकों के सभी खाली पड़े पदों पर नियुक्तियां करे. हाल ही में सेबी ने सभी सूचीबद्ध कंपनियों (सार्वजनिक या निजी) को अपने निदेशक मंडल में कम से कम एक महिला निदेशक नियुक्त करना था और इसकी समयसीमा 31 मार्च 2015 को समाप्त हो गई थी.

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सेबी बोर्ड की बैठक में CPSE द्वारा उसके निर्देशों का अनुपालन नहीं किए जाने के मुद्दों पर चर्चा हुई. इस बैठक के मिनट्स के मुताबिक CPSE में महिला निदेशकों की नियुक्ति या स्वतंत्र निदेशकों के पद भरने के मामले को पिछले महीने कैबिनेट सचिव के समक्ष उठाया था.

सेबी का मानना है कि सूचीबद्ध कंपनियों के लिए नियमों के अनुपालन के मामले में पीएसयू को किसी तरह की छूट नहीं दी जानी चाहिए.

गौरतलब है कि कंपनी कानून के मुताबिक, हर सूचीबद्ध कंपनी या 100 करोड़ रुपये या अधिक की चुकता पूंजी या 300 करोड़ रुपये या अधिक की सालाना आय वाली प्रत्येक सार्वजनिक कंपनी में 31 मार्च, 2015 तक उनके बोर्ड में कम से कम एक महिला होनी चाहिए. सेबी में हालांकि एक भी महिला सदस्य नहीं है.

एक अनुमान के मुताबिक बंबई शेयर बाजार में 1,000 से अधिक कंपनियां तथा नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में करीब 200 कंपनियां निदेशक मंडल में कम-से-कम एक महिला निदेशक नियुक्त करने का नियम पालन नहीं कर सकी हैं. सेबी ने पिछले साल फरवरी में इस नियम की घोषणा की थी और इसके लिये शुरू में समयसीमा एक अक्टूबर 2014 थी जिसे बाद में छह महीने के लिए बढ़ा दी गई.

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