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SEBI के सामने हाजिर हुए सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय

सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय और समूह के तीन अन्य बड़े अधिकारी बुधवार को बाजार नियामक सेबी के सामने हाजिर हुए. सेबी ने उन्हें तीन करोड़ से अधिक संख्या में निवेशकों की कुल 24,000 करोड़ रुपए की राशि वापस किए जाने के मामले में पेश होने के आदेश जारी किये थे.

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सुब्रत रॉय
सुब्रत रॉय

सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय और समूह के तीन अन्य बड़े अधिकारी बुधवार को बाजार नियामक सेबी के सामने हाजिर हुए. सेबी ने उन्हें तीन करोड़ से अधिक संख्या में निवेशकों की कुल 24,000 करोड़ रुपये की राशि वापस किए जाने के मामले में पेश होने के आदेश जारी किये थे.

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सहारा विवाद: कई रास्तों का सहारा

सेबी के समक्ष पेश होने के बाद सुब्रत रॉय ने कहा कि उनसे निजी संपत्तियों के बारे में पूछा गया. उन्होंने कहा, 'हमने सेबी से कहा है कि जो पैसा जमा है, उसको देना शुरू करें. हमें तीन करोड़ निवेशकों की चिंता है.'

सहारा विवाद: मुश्किल में, पर बे-सहारा नहीं

सुब्रत रॉय ने कहा, 'मैंने SEBI से कहा कि आपकी और हमारी टीम बैठकर निवेशकों का पैसा लौटाने के लिए योजना बनाए. हमने ज्यादातर निवेशकों के पैसे लौटे दिए हैं और बाकी पैसे सेबी के पास पड़े हैं.'

सहारा प्रकरण: सेबी ने खातों पर रोक लगाई

आपको बता दें कि रॉय के अलावा सहारा समूह के अशोक राय चौधरी, रविशंकर दूबे और वंदना भार्गव को मुंबई में सेबी के मुख्यालय पर इस नियामक संस्था के पूर्णकालिक सदस्य प्रशांत शरण के समक्ष व्यक्तिगत तौर पर पेश होने को कहा गया था.

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सेबी की SC में अर्जी, सहारा प्रमुख गिरफ्तार हों

सेबी ने 26 मार्च को सहारा समूह के इन चार लोगों को समन जारी किए थे. इन्हें समूह की दो कंपनियों के निदेशक के रूप में तलब किया गया था ताकि उनकी व्यक्तिगत परिसंपत्तियों के ब्‍योरे तथा संबंधित कंपनियों के निवेश व परिसंपत्तियों के ब्‍योरे की पुष्टि की जा सके और निवेशकों का धन वापस करने के लिए धन की व्यवस्था के लिए उनकी अचल संपत्ति की नीलामी की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा सके.

सहारा समूह के इन अधिकारियों को व्यक्तिगत पेशी के दौरान दोनों कंपनियों, सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कॉर्प लिमिटेड (एसआईआरईसीएल) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्प लिमिटेड (एएचआईसीएल) की सभी परिसंपत्तियों और उनके निवेश के मालिकाना हक संबंधी दस्तावेजों की मूल प्रतियां प्रस्तुत करने को भी कहा गया था.

सहारा समूह की इन दोनों कंपनियों को उच्चतम न्यायालय ने 31 अगस्त 2012 के अपने आदेश में बॉन्ड धारकों का 24,000 करोड़ रुपये तीन महीने में लौटाने का निर्देश दिया था. इसी आदेश में सेबी को निवेशकों का सत्यापन करते हुए उनका पैसा लौटाने को कहा गया था.

बाद में पांच दिसंबर 2012 को न्यायालय ने सहारा समूह को अतिरिक्त समय देते हुए उसे 5,120 करोड़ रुपये तत्काल जमा कराने और उसके बाद 10,000 करोड़ रुपये जनवरी के पहले सप्ताह में और बाकी राशि फरवरी के पहले सप्ताह तक जमा कराने को कहा था.

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उच्चतम न्यायालय के आदेशों के अनुसार भुगतान न किए जाने पर सेबी ने कुर्की का आदेश निकाल दिया.

सहारा समूह का दावा है कि वह निवेशकों को अधिकतर पैसा पहले ही दे चुका है और उसकी बाकी देनदारी सेबी के पास जमा करायी गयी 5,120 करोड़ रुपये की राशि से कम ही है.

न्यायालय ने कहा था कि यदि सहारा समूह निवेशकों का धन लौटाने के लिए पैसा जमा नहीं कराती हैं तो सेबी उनके खाते जब्त करने और संपत्ति कुर्क करने को स्वतंत्र है. इसके कुछ ही दिन बाद सेबी ने कुर्की के आदेश जारी कर दिए थे.

सेबी के अनुसार एसआईआरईसीएल और एसएचसीआईएल ने बॉन्डधारकों से 6,380 करोड़ रुपये और 19,400 करोड़ रुपये जुटाए थे पर धन जुटाने में ‘कई तरह की अनियमिताताएं’ की गयीं.

उन्हीं आदेशों में इन फर्मों और इनके शीर्ष अधिकारियों को संपत्ति और खातों आदि का ब्यौरा आठ अप्रैल तक प्रस्तुत करने को कहा गया था.

सेबी ने पिछले महीने कहा कि उसके इन आदेशों का अनुपालन नहीं किया गया है. इसलिए उसने संपत्तियों की नीलामी की कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू करने का एक नया आदेश जारी किया ताकि निवेशकों का पैसा लौटाने के लिए धन जुटाया जा सके.

संयोग से प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) भी इसी सप्ताह 13 अप्रैल को सेबी के आदेश के खिलाफ सुब्रत रॉय और अन्य द्वारा दायर अपीलों पर सुनवाई करने वाला है. इन अपीलों में इन व्यक्तियों ने अपने बैंक खातों, परिसंपत्तियों और निवेश को कुर्क करने के सेबी के पहले के आदेश को चुनौती दी है.

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इन परिसंपत्तियों में सहारा समूह का पुणे के करीब विकसित आंबी वैली रिजॉर्ट, दिल्ली, मुंबई और देश में कुछ अन्य जगहों की जमीन-जायदाद, शेयर, म्युचुअल फंड और अन्य प्रकार के निवेश शामिल हैं.

रॉय और अन्य तीन शीर्ष कार्यकारियों को व्यक्तिगत पेशी के दौरान सभी परिसंपत्तियों के मालिकाना हक से जुड़े दस्तावेजों की मूल प्रतियों और सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कॉर्प लिमिटेड और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्प के निवेश के ब्यौरे भी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था.

इसके अलावा उनसे भारत और विदेश में बैंक खातों के ब्यौरे और आयकर रिटर्न और 2007-08 के बाद से दोनों कंपनियों द्वारा चुकाए गए संपत्ति कर का ब्यौरे भी सौंपने के लिए कहा गया था.

उच्चतम न्यायालय भी इसी महीने सेबी की उस याचिका पर सुनवाई करने वाला है जिसमें नियामक ने रॉय की गिरफ्तारी और उनको देश छोड़ने से रोकने का निर्देश देने का अनुरोध किया है.

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