भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी) ने टाटा समूह पर साइरस मिस्त्री द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच करने को कहा है. सेबी ने स्टॉक एक्सचेंजों से कहा है कि वे टाटा समूह की कंपनियों को निर्देश दें कि वे कॉरपोरेट गवर्नेंस के मसले पर टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री द्वारा द्वारा जाहिर की गई चिंताओं का समाधान करें और इस मसले की जांच समूह के सूचीबद्ध कंपनियों की ऑडिट कमेटी से कराई जाए. इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक खबर में सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी गई है.
गौरतलब है कि साइरस मिस्त्री ने टाटा संस और टाटा ट्रस्ट के बोर्ड को एक ई-मेल भेजकर टाटा समूह और रतन टाटा पर कई तरह के गंभीर आरोप लगाए थे. इनमें फर्जी लेन-देन, अनैतिक दस्तूर, हितों के टकराव जैसे कई गंभीर आरोप थे. एक जानकार ने इस बारे में कहा, 'इस समय दोनों पक्षों द्वारा तमाम तरह के दावे और प्रतिदावे किए जा रहे हैं और अभी ये सब आरोप ही हैं. सेबी द्वारा इस मामले को ऑडिट कमेटी के पास भेजने से सच को साबित करने की दिशा में पहला कदम बढ़ाया गया है. इस ऑडिट कमेटी के निष्कर्षों के आधार पर ही बाजार नियामक सेबी अगला कदम उठाएगा.' टाटा समूह के प्रवक्ता ने इस खबर के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की है.
मिस्त्री ने लगाए थे गंभीर आरोप
गत 24 अक्टूबर को चेयरमैन पद से हटाए जाने के बाद साइरस मिस्त्री ने आरोप लगाया था कि रतन टाटा के कार्यकाल के दौरान ग्रुप की कई कंपनियों में निवेश के निर्णय में कॉरपोरेट गवर्नेंस का पूरी तरह से अभाव रहा है. उन्होंने आरोप लगाया था, 'समूह की विरासत वाली कंपनियों (इंडियन होटल्स, टाटा मोटर्स पीवी, टाटा स्टील यूरोप, टाटा पावर मुंद्रा और टाटा टेलीसर्विसेज ) में साल 2011 से 2015 के बीच लगाई गई पूंजी 1,32,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 1,96,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गई.' मिस्त्री का आरोप था कि इससे समूह के बहीखाते में 18 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है. उनके इस विस्फोटक ई-मेल के बाद स्टॉक एक्सचेंजों ने टाटा समूह की इन कंपनियों से सफाई मांगी थी. मिस्त्री ने यह भी आरोप लगाया था कि रतन टाटा टीसीएस को आईबीएम को बेचने पर आमादा थे. इतना ही नहीं मिस्त्री ने कहा कि इस तरह के फैसले के लिए तैयार रतन टाटा के अहम ने उनसे कोरस जैसा महंगा सौदा भी करवाया. इस अहम की वजह से कोरस को टाटा समूह ने उसकी असली कीमत से दोगुनी कीमत पर खरीदा था.