कंज्यूमर अफेयर्स मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि देशभर में रेस्टोरेंट ग्राहकों से जबरन सर्विस चार्ज वसूल रहे हैं. कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट का हवाला देते हुए मंत्रालय ने कहा है कि रेस्टोरेंट में सर्विस चार्ज देना पूरी तरह से वैकल्पिक है और ग्राहकों की रजामंदी के बगैर इसे नहीं वसूला जा सकता है.
पिछले कई महीनों से मंत्रालय को रेस्टोरेंट द्वारा जबरन सर्विस चार्ज वसूले जाने पर लगातार शिकायत मिल रही थी. शिकायत के मुताबिक टिप के ऐवज में रेस्टोरेंट 5-20 फीसदी तक सर्विस चार्ज ग्राहकों से वसूल रहे हैं. ग्राहकों को यह चार्ज रेस्टोरेंट में कैसी भी सर्विस मिलने पर देना पड़ रहा था.
केन्द्र सरकार के मुताबिक कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 1986 के मुताबिक यदि कोई कारोबारी अपनी सेल बढ़ाने अथवा किसी उत्पाद को सप्लाई करने के लिए गैरकानूनी या भ्रम का फायदा उठाता है तो उसे अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस माना जाएगा. इस स्थिति में उक्त कारोबारी के खिलाफ कदम उठाया जाएगा. इस एक्ट के मुताबिक ग्राहकों ज्वारा कंज्यूमर अफेयर्स विभाग को शिकायत दर्ज कराने का अधिकार है.
गौरतलब है कि लगातार ग्राहकों से शिकायत मिलने के बाद कंज्यूमर अफेयर्स मंत्रालय ने होटल एसोसिएशन ऑफ इंडिया से सफाई मांगी थी. एसोसिएशन ने सरकार को लिखित जवाब में कहा है कि सर्विस चार्ज देना पूरी तरह से ग्राहकों की इच्छा पर निर्भर है . यह रेस्टोरेंट और होटल में दी गई सुविधा से ग्राहक संतुष्ट नहीं है तो वह इस चार्ज को बिल से हटाने के लिए कह सकता है.
अपने इस निर्देश के बाद केन्द्र सरकार ने सभी राज्यों से अपील की है कि वह सर्विस चार्ज संबंधित कानून को व्यापक बनाने का प्रयास करें जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग इस प्रावधान के बारे में जान सकें.