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स्पेक्ट्रम पर सेवाकर लगाने से बढ़ सकतीं हैं मोबाइल शुल्क दरें: सीओएआई

दूरसंचार उद्योग के संगठन सीओएआई ने कहा है कि वित्त विधेयक 2016 में स्पेक्ट्रम आवंटन को सेवाओं के दायरे में लाए जाने से दूरसंचार कंपनियों पर 77,000 करोड़ रुपये का कर बोझ बढ़ जायेगा. उन्होंने कहा कि यदि इस बोझ को उपभोक्ताओं पर डाला गया तो ग्राहकों को ऊंची शुल्क दरें चुकानी पड़ सकती हैं.

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दूरसंचार उद्योग के संगठन सीओएआई ने कहा है कि वित्त विधेयक 2016 में स्पेक्ट्रम आवंटन को सेवाओं के दायरे में लाए जाने से दूरसंचार कंपनियों पर 77,000 करोड़ रुपये का कर बोझ बढ़ जाएगा. उन्होंने कहा कि यदि इस बोझ को उपभोक्ताओं पर डाला गया तो ग्राहकों को ऊंची शुल्क दरें चुकानी पड़ सकती हैं.

सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने आगे कहा कि इस कदम का सरकार के ‘डिजिटल इंडिया’ कार्यक्रम और वित्तीय समावेश योजना पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.

दूरसंचार उद्योग ने सरकार से इन कर प्रस्तावों पर पुनर्विचार करने और प्रस्तावित आयकर प्रावधान के बारे में स्पष्टीकरण देने को कहा है.

सीआईएआई ने एक बयान में कहा, ‘स्पेक्ट्रम आवंटन पर सेवा कर लगाने का मतलब है कि जून-जुलाई में होने वाली नीलामी में जहां आरक्षित मूल्य 5.36 लाख करोड़ रुपये है, उद्योग को कम से कम 77,000 करोड़ रुपए सेवाकर के रूप में देने पड़ सकते हैं. पहले से ही कर्ज के बोझ तले दबे दूरसंचार उद्योग पर यह काफी बड़ा वित्तीय बोझ होगा.’ वित्त विधेयक 2016 में स्पेक्ट्रम आवंटन और उसके बाद उसके हस्तांतरण को वित्त अधिनियम 1994 की धारा 66ई के तहत सेवा घोषित किया जाता है. इसमें कहा गया है कि सभी सरकारी सेवाओं को सेवाकर के योग्य बनाया जाता है और सेवाएं लेने वाले को एक अप्रैल 2016 से इनका भुगतान करना होगा.

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सीओएआई ने कहा है कि अगर इस बोझ को ग्राहक पर डाला गया तो न केवल टेलीफोन सेवाएं महंगी होंगी बल्कि सरकार की डिजिटल इंडिया पहल पर भी बुरा असर पड़ेगा.

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