11 मार्च 2017 को उत्तर प्रदेश समेत 5 राज्यों में चुनाव नतीजों के बाद भारतीय शेयर बाजार तीस हजारी की रफ्तार पकड़ने लगा. बाजार के जानकारों का मानना था कि यूपी समेत अन्य राज्यों के नतीजों से निवेशकों को ज्यादातर राज्यों में बीजेपी की सरकार बनने का भरोसा हुआ. इन नतीजों से निवेशकों की उम्मीद बढ़ी कि देश में आर्थिक सुधारों की रफ्तार बढ़ेगी और निवेश का माहौल सुधरेगा. लिहाजा, कयास लगाया गया कि एक बार फिर शेयर बाजार मई-जून 2014 की रफ्तार पकड़ेगा और सेंसेक्स 30,000 और निफ्टी 10,000 के जादुई आंकड़े को पार कर जाएगा.
8 मार्च को आखिरी फेज की पोलिंग के दिन शेयर बाजार का सेंसटिव इंडेक्स सेंसेक्स 29,000 के नीचे कारोबार कर रहा था. 8 मार्च की शाम आए एक्जिट पोल नतीजों में बीजेपी की जीत की उम्मीद पर 9 मार्च से शेयर बाजार ने रफ्तार पकड़ ली. वहीं 11 मार्च को आए नतीजों के बाद के कारोबारी सत्रों में सेंसेक्स 30,000 के आंकड़े की तरफ भागने लगा और हफ्ते के आखिरी कारोबारी सत्र 17 मार्च को संसेक्स 29,650 अंकों के स्तर को पार कर गया.
18 मार्च को यूपी में योगी आदित्य नाथ को उत्तर प्रदेश का नया मुख्यमंत्री घोषित कर दिया गया. इस घोषणा के बाद सोमवार 20 मार्च के पहले करोबारी दिन शेयर बाजार में गिरावट लौट आई. 17 मार्च को 29,650 के आंकड़े पर बैठा सेंसेक्स 20 मार्च को 125 अंकों से ज्यादा गिरा. वहीं अगले कारोबारी दिन मंगलवार को एक बार फिर दिन के कारोबार में गिरावट के बाद बुधवार 22 मार्च को सेंसेक्स 250 अंकों की गिरावट के साथ 29,250 के स्तर पर कारोबार कर रहा है.
चालू कारोबारी हफ्ते में जारी गिरावट के लिए जहां जानकार वैश्विक बाजार को जिम्मेदार मान रहे हैं लेकिन आंकड़ों से साफ है कि भारतीय शेयर मार्केट पर मोदी का जादू चलता है. बाजार में उतार-चढ़ाव के घरेलू कारणों में जहां उत्तर प्रदेश में बीजेपी की जीत से निवेशकों के सेंटीमेंट में सुधार देखने को मिला वहीं योगी को मुख्यमंत्री का पद दिए जाने की घोषणा का असर बाजार पर नहीं पड़ा और वैश्विक दबाव में बाजार ने गिरावट का रुख कर लिया.