बजट से पहले मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यन ने शेयर बाजार के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने को लेकर कहा था कि इससे सतर्क होने की जरूरत है. उन्होंने आशंका जताई थी कि बाजार में यह तेजी कुछ समय के लिए ही है. उनकी यह आशंका महज 5 दिनों के भीतर ही सच हो गई है.
पहले तो बजट में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पर टैक्स लगाए जाने से बाजार नीचे आ गया. दूसरी तरफ, यूएस मार्केट में आई 6 साल में सबसे बड़ी गिरावट ने भी बाजार को लाल होने पर मजबूर किया है.
जनवरी महीने के अंत तक निफ्टी जहां 11 हजार से ज्यादा के स्तर पर बना रहा था. वहीं, सेंसेक्स भी 36 हजार के आंकड़े को पार कर चुका था, लेकिन इस मिजाज को 1 फरवरी को पेश हुए बजट ने बिगाड़ दिया. शेयर बाजार में लगातार आ रही इस गिरावट के लिए बजट समेत 5 अहम वजहें जिम्मेदार हैं.
बजट ने किया निराश
शेयर बाजार ने इस साल के बजट से काफी उम्मीदें पाली थीं. यही वजह थी कि 1 फरवरी को शेयर बाजार ने बढ़त के साथ शुरुआत की थी. हालांकि बजट खत्म होते-होते यह बढ़त गिरावट में तब्दील हो गई.
दरअसल वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पर टैक्स लगाने की घोषणा की. इससे निवेशकों का सेंटीमेंट कमजोर हुआ. बजट के दिन से शेयर बाजार में लगातार गिरावट जारी है.
अमेरिकी शेयर बाजार की गिरावट
इस कारोबारी हफ्ते के दूसरे दिन मंगलवार को सेंसेक्स ने जहां 1200 अंकों की गिरावट के साथ शुरुआत की. वहीं, निफ्टी भी 300 अंक टूटकर खुला. इसकी अहम वजह बनी अमेरिकी बाजार में आई बड़ी गिरावट.
सोमवार को अमेरिकी बाजार में पिछले 6 साल में सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली. सोमवार को डाउ जोन्स 1175 अंक टूटकर बंद हुआ. डाउ जोन्स में आई यह गिरावट अगस्त 2011 के बाद से सबसे बड़ी गिरावट है. इसका सीधा असर घरेलू बाजार पर देखने को मिला और इसकी शुरुआत भी बड़ी गिरावट के साथ हुई.
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा समिति की बैठक मंगलवार से शुरू हो गई है. बजट में किसानों की हालत सुधारने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाए जाने की घोषणा की गई है. ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि भारतीय रिजर्व बैंक इस बार ब्याज दरों में कटौती करने से बचेगी.
आरबीआई बुधवार को अर्थव्यवस्था को लेकर क्या टिप्पणी करता है और वह ब्याज दरों में कटौती का फैसला लेता है या नहीं, इसको लेकर खड़े हुए संशय का असर भी बाजार पर दिखा है. इससे निवेशकों ने सुरक्षात्मक रवैया अपनाना सही समझा है.
अमेरिकी शेयर बाजार में आई 6 साल में सबसे बड़ी गिरावट के लिए बॉन्ड यील्ड बढ़ना ही वजह बना है. अमेरिका में बॉन्ड यील्ड 2.88% तक पहुंच गई है. इसकी वजह से ही डाउ जोन्स 4.60 फीसदी की दर से नीचे आया है. घरेलू शेयर बाजार पर भी इसका असर दिखा है और बिकवाली बढ़ी है.
एशियाई बाजार में कमजोरी
अमेरिकी बाजारों में आई रिकॉर्ड गिरावट के बाद एशियाई शेयर बाजारों में भारी बिकवाली जारी है. जापान के शेयर बाजार का प्रमुख इंडेक्स निक्केई 1,115 अंक यानि 5.2 फीसदी की भारी गिरावट के साथ 21,567 के स्तर पर कारोबार करता देखा जा रहा है.
वहीं हॉगकॉन्ग के प्रमुख इंडेक्स हैंग सेंग में 1,000 अंकों से अधिक यानी यानि 3.2 फीसदी से अधिक की गिरावट दर्ज हो चुकी है. फिलहाल हैंग सेंग लुढ़ककर 31,240 के स्तर पर कारोबार करता देखा गया है.
वहीं भारतीय बाजार से ठीक पहले खुलने वाले एसजीएक्स निफ्टी या सिगापुर निफ्टी में भी 300 अंकों से अधिक की गिरावट दर्ज हुई है. एसजीएक्स निफ्टी लगभग 3 फीसदी की गिरावट के साथ 10,395 के स्तर पर कारोबार करता देखा गया है.