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शेयर बाजार में दबाव बरकरार, मामूली रिकवरी के साथ बंद हुआ सेंसेक्‍स

भारतीय शेयर बाजार में मंगलवार को भी गिरावट का दौर जारी रहा. शुरुआती कारोबार में सेंसेक्‍स 200 अंक से ज्‍यादा टूट गया.

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शेयर बाजार में दबाव बरकरार
शेयर बाजार में दबाव बरकरार

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बजट के बाद से लगातार तीसरे दिन भी आज बाजार में दबाव दिखा. पूरे दिन उतार चढ़ाव के बाद सेंसेक्स और निफ्टी दायरे में बंद हुए. सेंसेक्स 10 अंकों की तेजी के साथ 38731 के स्तर पर रहा जबकि निफ्टी में 3 अंकों की गिरावट रही और यह 11556 के स्तर पर बंद हुआ. कारोबार के दौरान एफएमसीजी, मेटल और आईटी में गिरावट रही है.

इससे पहले मंगलवार को सेंसेक्‍स की शुरुआत करीब 200 अंकों से ज्‍यादा की गिरावट के साथ हुई तो वहीं निफ्टी में भी 75 अंकों से ज्‍यादा की फिसलन दर्ज की गई. कारोबार के कुछ मिनटों में सेंसेक्‍स 38,500 के नीचे आ गया तो वहीं निफ्टी 11 हजार 490 के स्‍तर पर पहुंच गया. शुरुआती कारोबार में बजाज फाइनेंस, एचडीएफसी, कोटक बैंक, टीसीएस और एशियन पेंट के शेयर 1 फीसदी से अधिक लुढ़क गए. हालांकि यस बैंक, सनफार्मा, ओएनजीसी, हीरो मोटोकॉर्प और वेदांता के शेयर में तेजी रही.

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सोमवार को साल की सबस बड़ी गिरावट

इससे पहले सोमवार को शेयर बाजार में साल की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली. सेंसेक्स 792.82 अंकों यानी 2.01 फीसदी गिरावट के साथ 38 हजार 720 के स्‍तर पर बंद हुआ. वहीं निफ्टी भी 252.55 अंकों यानी 2.14 फीसदी गिरावट के साथ 11 हजार 558 अंक पर आ गया. कारोबार के दौरान सेंसेक्स 900 अंकों से ज्यादा लुढ़का और निफ्टी में भी 288 अंकों की गिरावट आई. आम बजट पेश होने के बाद दो दिन में सेंसेक्‍स करीब 1200 अंक लुढ़क गया. इस दौरान निवेशकों को 5 लाख करोड़ से अधिक की चपत लगने का अनुमान है.

क्‍या है गिरावट की वजह

मोदी सरकार के आम बजट में उम्‍मीद के मुताबिक ऐलान नहीं होने की वजह से शेयर बाजार में इतनी बड़ी गिरावट आई है. बाजार के जानकार बताते हैं कि सरकार द्वारा शेयर बायबैक पर टैक्‍स लगाने और लिस्‍टेड कंपनियों में न्यूनतम पब्लिक शेयरहोल्डिंग बढ़ाने की घोषणा से घरेलू निवेशकों में निराशा का माहौल बना है.

दरअसल, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने चालू वित्त वर्ष 2019-20 का पूर्ण बजट लोकसभा में पेश करते हुए लिस्‍टेड कंपनियों में न्यूनतम पब्लिक शेयरहोल्डिंग 25 फीसदी से बढ़ाकर 35 फीसदी करने का प्रस्ताव पेश किया.  इसके अलावा, बायबैक पर 20 फीसदी टैक्‍स लगाने का भी प्रस्ताव किया गया है. इसके अलावा अमेरिका में पिछले सप्ताह जॉब डेटा मजबूत आने से अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में कटौती की संभावना कम होने से एशियाई बाजारों में नकरात्मक रुझान रहा.

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