नोटबंदी की मार झेल रहे हर आम और खास को 1 फरवरी को पेश होने वाले आम बजट से ढेरों उम्मीदें टिकी हैं. एक तरफ वित्त मंत्रालय बजट को आखिरी शक्ल दने में लगा है, तो दूसरी तरफ पूरा देश सांस रोके इस इंतज़ार में है कि अरुण जेटली के पिटारे से सबके लिए कुछ न कुछ निकलेगा. छोटे और लघु उद्योगों को बजट से खासतौर से काफी उम्मीदें हैं.
दिल्ली के ओखला फेज वन में केटरिंग बिज़नस में काम कर रहीं सुरभि ने बताया, 'नोटबंदी के बाद वित्त मंत्री का ये बजट बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है. 1000 और 500 के नोट बंद होने से शुरू में बहुत दिक्कत हुई थी. सरकार को अब जल्द से जल्द जीएसटी लागू कर देना चाहिए'.
वहीं जूता फैक्ट्री में काम करने वाले मनोज कहते हैं, 'सरकार नोटबंदी के नियमों को लागू करते समय जितनी सख्त थी, उतनी ही सख्ती से सरकार को जीएसटी लागू कर देना चाहिए, क्योंकि सैलरीड क्लास को तमाम तरह के टैक्सों से राहत मिलेगी, साथ ही इनकम टैक्स की रिबेट थोड़ी और बढ़ानी चाहिए'.
8 नवंबर को जब प्रधानमंत्री मोदी ने 500 और 1000 के पुराने नोट बंद करने का फरमान जारी किया था, उससे सबसे ज्यादा दिक्कत फैक्ट्रियों में काम करने वाले उन मज़दूरों को हुई थी जो छोटे शहरों से आकर दिल्ली में काम कर रहे थे.
ऐसे ही एक मजूदर राजू है, जो कपड़ा फैक्ट्री में काम करते हैं. उन्होंने बताया, 'उस समय मेरे पास बैंक में खाता भी नहीं था, तब बहुत परेशानी हुई थी. बजट में सरकार को कुछ ऐसा लाना चाहिये, जिससे हमें छोटे शहरों और गांवों में भी रोज़गार के साधन होने चाहिए, ताकि हमें काम की तलाश में महानगरों में नहीं आना पड़े'.
जाहिर है 1 फरवरी को जब वित्त मंत्री आम बजट पेश करेंगे, तब हर किसी की नजर इसी पर टिकी होगी. साल 2017 का यह आम बजट किसके चहेरे पर खुशी लाता है और किसके चेहरे पर गम इसके लिए बस करना होगा थोड़ा इंतज़ार.