रिजर्व बैंक की इस घोषणा के बाद कि 2005 के पहले के नोट नहीं चलेंगे, करोड़ों रुपये के नोट हर रोज बदले जा रहे हैं. लेकिन दिलचस्प बात यह है कि इससे अनधिकृत ढंग से नोट बदलने की दुकानें चलाने वालों का धंधा चल निकला है.
आर्थिक पत्र द इकोनॉमिक टाइम्स ने खबर दी है कि मुंबई में ऐसे एजेंटों के पास इस समय नोट बदलने के इच्छुक लोगों की भीड़ लगी हुई है और करोड़ों रुपये के नोट हर रोज बदले जा रहे हैं. ये एजेंट कमीशन लेकर नोट बदलने का काम करते हैं और अमूमन लोग इनके पास कटे-फटे नोट लेकर जाते हैं. ये कुछ कमीशन लेकर नोट बदल देते हैं.
अखबार के मुताबिक मुंबई के झावेरी बाजार की गलियों में ऐसी कई दुकानें हैं. इनके अलावा उपनगर मुलुंड में भी कई दुकानें हैं और ये सभी जबर्दस्त बिजनेस कर रहे हैं. दरअसल लोगों को यह लग रहा है कि सरकार इस बहाने काला धन रखने वालों को फंसाना चाहती है. इसलिए ऐसा सोचने वाले लोग बैंकों में न जाकर इन दुकानों की शरण में जा रहे हैं. हालांकि रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने इसे आधारहीन बताया है फिर भी लोगों में भय है और वे इन दुकानों में आ रहे हैं.
एक डीलर ने बताया कि हमारे पास तो ऐसे लोग भी आ रहे हैं जिनके पास 2005 से पहले जारी 10 से 20 लाख रुपये तक के नोट हैं. हम उनके नोट बदल रहे हैं लेकिन उनसे पहले की तुलना में ज्यादा कमीशन ले रहे हैं. पहले जहां एक लाख रुपये के नोट बदलने के लिए 500-600 रुपये कमीशन लिये जाते थे वहीं अब ये एजेंट 900 से 1,000 रुपये तक लेते हैं.
एक अन्य एजेंट ने बताया कि दरअसल इन लोगों के पास समय की कमी है और ये बैंक नहीं जा सकते हैं इसलिए इन लोगों ने इन एजेंटों का सहारा लिया हुआ है. उस एजेंट ने कहा कि हम एक वर्ष बाद भी इन नोटों को लेते रहेंगे क्योंकि उस समय भी ये नोट वैलिड रहेंगे.
नोट बदलने वालों में ज्यादातर किराने वाले, रेस्तरां मालिक, रीयल एस्टेट एजेंट वगैरह हैं जो नकदी ज्यादा रखते हैं. इनका काम ही ऐसा है कि उन्हें नकद का इस्तेमाल करना होता है. अब वे लोग सुरक्षित ढंग से नोट बदलना चाहते हैं.
दिल्ली में इंडियन बैंक सहित कुछ बैंकों ने पुराने नोट बदलने का अभियान चलाया है. वे 2005 के पहले के नोट तो ले ही रहे हैं, कटे-फटे नोट भी ले रहे हैं.