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इजराइल की तरह कर्नाटक भी कर सकता है किसानों की आमदनी को दोगुना

इंडिया टुडे स्टेट ऑफ स्टेट कॉन्क्लेव के कर्नाटक चैप्टर के दूसरे सत्र का थीम एग्रीकल्चर एंड डेवलपमेंट फर्स्ट था. इस सेशन में कर्नाटक के कृषि मंत्री कृष्णा गौड़ा, एग्रीकल्चर सेक्रेटरी अशोक दलवई और ऑर्गैनिक फार्मिंग करने वाले मधू चंदन ने हिस्सा लिया. इस सत्र का संचालन इंडिया टुडे के रिसर्च एडिटर अजीत झा ने किया.

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किसानों की आमदनी को 2022 तक दोगुनी करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं
किसानों की आमदनी को 2022 तक दोगुनी करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं

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इंडिया टुडे स्टेट ऑफ स्टेट कॉन्क्लेव के कर्नाटक चैप्टर के दूसरे सत्र का थीम एग्रीकल्चर एंड डेवलपमेंट फर्स्ट था. इस सेशन में कर्नाटक के कृषि मंत्री कृष्णा गौड़ा, एग्रीकल्चर सेक्रेटरी अशोक दलवई और ऑर्गैनिक फार्मिंग करने वाले मधू चंदन ने हिस्सा लिया. इस सत्र का संचालन इंडिया टुडे के रिसर्च एडिटर अजीत झा ने किया.

इस सत्र की शुरुआत किसानों की आमदनी को 2022 तक दोगुनी करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं के मुद्दे से हुई. राज्य के कृषि मंत्री का मानना था कि आज एग्रीकल्चर की स्थिति बदल चुकी है. किसानों को अधिक उपजाऊ बीज नहीं अपनी फसल के लिए अधिक कीमत चाहिए. वहीं अशोक दलवई ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए - प्रोडक्शन की जगह इनकम को तरजीह देने की जरूरत है. कल्टीवेशन के सस्ते संसाधनों को जुटाने की जरूरत है.

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यह काम टेक्नोलॉजी की मदद से किया जा सकता है. इसके लोगों का शहरी इलाकों से एक बार फिर ग्रामीण इलाकों की तरफ होगा. राज्य में कृषि प्रोडक्शन को बढ़ाने के बाद अब राज्य में यह कोशिश की जानी चाहिए कि कैसे इस पैदावार को कम से कम क्षेत्र में कर लिया जाए. इसका फायदा होगा कि बचे हुए खेतों में किसान को अन्य कैश क्रॉप लगाने का मौका मिलेगा जिससे आसानी से उसकी वार्षिक आमदनी बढ़ सकती है.

अशोल दलवई के मुताबिक प्रोडक्शन मैट्रिक्स या क्रॉप जियोमेट्री से हम किसानों की आमदनी को बढ़ा सकते हैं. इसके साथ ही एग्रीकल्चर को इंडस्ट्री का बैकबोन बनाने में भी मदद मिलेगी. कैश क्रॉप के लिए संभावना बनने के बाद किसानों को उन फसलों पर तरजीह देने की जरूरत रहेगी जिसकी इंडस्ट्री में सीधी मांग रहती है. इसका सबसे बड़ा फायदा होगा कि एक बार फिर देश में रोजगार का सबसे बड़ा साधन कृषि क्षेत्र में पैदा किया जा सकता है.

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सत्र का संचालन कर रहे अजीत झा ने सवाल किया कि क्या 100 फीसदी इरीगेशन के जरिए भी किसानों की आमदनी को दोगुना किया जा सकता है? इसके जवाब में मधू चंदन का कहना है कि हम इस हकीकत को नकार नहीं सकते कि भारत में पानी की कमी है. और आने वाले दिनों में पानी की कमी और संकीर्ण हो जाएगी. आंकड़ों के मुताबिक देश में 80 फीसदी कुल जल संसाधन का उपयोग खेती में किया जा रहा है. वहीं देश पूरी तरह से बारिश पर निर्भर हैं. लिहाजा देश के ऐसे रेन फेड एरिया में हमें उन फसलों में निवेश करने की जरूरत है जिसे कम से कम पानी में तैयार किया जा सकता है. इसके लिए यह भी जरूरी है कि हम इजराइस से सबक लें.

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इजराइल ने इरीगेशन के नए संसाधनों के साथ-साथ आरएनडी के जरिए अधिक पैदावार करने वाले बीजों पर ध्यान दिया. इसके चलते आज इजराइय पानी की कमी और कृषि उपयोग में आने वाली जमीन की कमी के बावजूद खेतों से प्रोडक्शन को बढ़ा लिया है.

अंत में अजीत झा ने कहा कि जब कैलिफॉर्निया ने सिलिकन सिटी के सहारे अपने 40 फीसदी रेगिस्तान को देश का ब्रेड बास्केट बना लिया तो भारत क्यों ऐसा करने में विफल रहा है. या जो काम राजस्थान में श्रीगंगानगर ने किया, वह काम उत्तर कर्नाटक या देश के अन्य राज्यों में क्यों नहीं किया जा सका. इस सत्र के अंत में इसी बात पर जोर दिया गया कि बिना किसानों की खुशहाली को सुनिश्चित किए सिर्फ सिलिकन वैली के सहारे कोई राज्य अग्रणी की भूमिका में ज्यादा दिन नहीं रह सकता.

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