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देश में बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं एक्सीडेंट, सामने आए NCRB के चौकाने वाले आकड़े

भारत में एक्सीडेंट एक आम बात है और एक्सीडेंट से होने वाली मौते भी कोई बड़ा मुद्दा शायद ही रहीं हो. इस देश में लोग कभी रोड पर तो कभी ट्रेन से काटकर मरते रहते हैं.

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एक्सीडेंटल डेथ के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र से
एक्सीडेंटल डेथ के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र से

भारत में एक्सीडेंट एक आम बात है और एक्सीडेंट से होने वाली मौते भी कोई बड़ा मुद्दा शायद ही रहीं हो. इस देश में लोग कभी रोड पर तो कभी ट्रेन से काटकर मरते रहते हैं.

अब तो पानी में डूब कर भी जान गवानें वालों की भी तादात बढ़ रही हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के हल ही में जारी किए गए आकड़े भी कुछ यही कहानी बयान करते हैं. NCRB के आंकड़े बताते हैं कि विभिषक दुर्घटनाओं के मामले भारत में बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं. 2014 में दुर्घटनाओं के मामलों में 12.8 फीसदी की बढ़ोत्तरी इस बात की गवाही है.

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क्या हैं कारण?
एक्सीडेंट क्या सिर्फ सड़क पर होते हैं? अगर आप ऐसे ख्याल रखते हैं तो काफी हद तक आप गलत हैं. एक्सीडेंट से करीब 4.5 लाख अपनी जान गवांते हैं और उनमें सबसे बड़ा कारण रोड-एक्सीडेंट के आलावा भी कई और कारण भी है जिनकी वजह से लोगों को अपनी जान गवनीं पड़ रही है. कई लोग डूब कर अपनी जान गवां देते रहे हैं तो कई जहर का शिकार हुए हैं.



सबसे बड़े कारण?
ट्रैफिक एक्सीडेंट आज भी सबसे बड़ा कारण बना हुआ है. करीब 37.4 फीसदी लोग सिर्फ ट्राफीक एक्सीडेंट में जान गवां रहे हैं, मतलब हर पांच में दो मौत सिर्फ का कारण रोड एक्सीडेंट है.

- इसके बाद बढ़ में या कभी पर्यटन के दौरान पानी से डूबने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है. पानी में डूब कर मरने वालों की संख्या कुल दुर्घटनाओं में 6.6 फीसदी हैं.
- एक्सीडेंटल डेथ में 6 फीसदी अचानक हुई मौतें हैं.
- जहर की वजह से भी करीब 4.6 फीसदी लोग अपनी जान गवां रहे हैं.
- आग लगने से भी करीब 4.3 फीसदी लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी हैं.
- बिल्डिंग से गिरकर या ऊंचाई से गिरकर जान गवाने वाले भी करीबी 3.4 फीसदी हैं.

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कौन से राज्य आगे?
देश में आबादी भले ही सबसे ज्यादा उत्तर-प्रदेश में हो पर एक्सीडेंटल डेथ के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र सूबे से आते हैं. पूरे देश में होने वाले एक्सीडेंटों में मरने वाला हर छठा व्यक्ति महाराष्ट्र सूबे से आता है. इस फेहरिस्त में महाराष्ट्र के बाद मध्य प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु, राजिस्थान और उत्तर प्रदेश आते हैं.

क्या है चौकाने वाला?
सबसे ज्यादा चौकाने वाली बात यह है कि 2010 से 2013 तक दुर्घटना से होनी वाली मौतों में तेजी से कमी देखने को मिल रही रही थी. साल 2011 में तो दुर्घटना से होने वाली मौतों में बहुत तेज अवनति आई थी. वहीं साल 2014 में दुर्घटनाओं में होने वाली म्रत्यु परिवर्तन दर बढ़कर 11.6 फीसदी हो गई.

-सबसे दुखद पांडुचेरी से आए आकड़े हैं जहां की कुल जनसंख्या में हर 1000 में 1 व्यक्ति को अपनी जान सिर्फ एक्सीडेंट में गावनी पड़ रही हैं. छतीसगढ़ की कहानी भी कुछ इतनी हा खतरनाक है.

-महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, हिमांचल, हरियाणा, गुजरात, गोवा, तेलंगाना, सिक्किम और राजस्थान की भी हर 2000 की जनसंख्या में एक व्यक्ति सिर्फ एक्सीडेंट की वजह से अपनी जान गवां रहा है.

कौन हैं एक्सीडेंट से सबसे सुरक्षित?
नागालैंड और बिहार से एक्सीडेंट के सबसे कम मामले सामने आये हैं. लगभग पूरे पूर्वी भारत में एक्सीडेंटल डेथ के सबसे कम मामले सामने आए हैं.

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क्या हैं सरकारी इंतजाम?
सरकार शायद कभी जीडीपी के नंबरों का बेस रेट बदलने व्यस्त हैं तो कभी एफडीआई की बदलते नंबरों से ही गदगद दिख रही है. NCRB के ये आकंडे वास्तव में चौकाने वाले हैं और सरकार अब शायद इन्हें रोकने के लिए कोई बड़ा कदम उठए.

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