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सुब्रमण्यम स्वामी ने सुरेश प्रभु को दिया सुझाव-जेट का एयर इंडिया में विलय ही बचा है रास्ता

खस्ताहाल जेट एयरवेज को संकट से बचाने के लिए सरकार के स्तर पर कई तरह के प्रयास चल रहे हैं. इस बीच बीजेपी के वरिष्ठ नेता डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने जेट एयरवेज को बचाने के लिए नागर विमानन मंत्री सुरेश प्रुभ को लेटर लिखकर सुझाव दिया है.

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जेट को संकट से निकालने के लिए सुझाव
जेट को संकट से निकालने के लिए सुझाव

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बीजेपी के वरिष्ठ नेता डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने जेट एयरवेज को बचाने के लिए नागर विमानन मंत्री सुरेश प्रुभ को लेटर लिखकर सुझाव दिया है. स्वामी का कहना है कि अब यही एक मात्र रास्ता बचा है कि जेट एयरवेज का एयर इंडिया में विलय कर दिया जाए और एयर इंडिया को भी सुचारु तरीके से चलाया जाए. स्वामी ने विदेशी एयरलाइंस एतिहाद के जेट में निवेश पर भी सवाल उठाते हुए कहा है कि यह राष्ट्रीय हितों के खिलाफ है.  

केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु को लिखे लेटर में सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है, 'आप लोकसभा चुनाव में व्यस्त होंगे. लेकिन यह मामला काफी अर्जेंट है. जेट एयरवेज के बंद होने से यात्रियों को काफी दिक्कतें होने वाली हैं. देश में हवाई यात्रियों की संख्या निरंतर बढ़ रही है और इसमें हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए विदेशी एयरलाइंस अपनी नजरें गड़ाए हुए हैं. इसलिए ऐसे समय में जेट को बंद कर देना यात्रियों के लिए काफी नुकसानदेह हो सकता है.'  

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स्वामी ने कहा कि उन्होंने जेट में एतिहाद के एफडीआई का इस आधार पर विरोध किया था कि इसमें एतिहाद को ज्यादा एयरस्पेस दिया जा रहा है. यह घरेलू यात्रियों के हितों के लिए तो अनुचित है ही, राष्ट्रीय हितों के लिहाज से भी उचित नहीं है.

स्वामी ने अपने लेटर में लिखा है, 'जेट में एतिहाद के निवेश और भारत-यूएई के बीच हवाई सेवाओं के लिए समझौते से एयर इंडिया को नुकसान हुआ है. सरकारी एयरलाइंस एयर इंडिया के पास भारी एसेट है और यह काफी कीमती है. जेट की खस्ता हालत का विस्तारा और स्पाइसजेट जैसे दूसरे निजी एयरलाइंस फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं. इसलिए मेरा सुझाव है कि एयर इंडिया में राष्ट्रीय निवेश एवं बुनियादी ढांचे की इस लूट को रोका जाए. मेरा मंत्रिमंडल के लिए यह मजबूत सुझाव है कि जेट एयरवेज का एयर इंडिया में विलय कर दिया जाए ताकि जेट की सेवाएं भी बंद न हों और एयर इंडिया अपने पुराने गौरव को हासिल करे.' 

गौरतलब है कि जेट एयरवेज की हालत खस्ता है और इसकी उड़ानें बंद हो चुकी हैं. इसके करीब 20 हजार कर्मचारियों की नौकरी पर तलवार लटक रही है. कंपनी को उबारने की तरह-तरह से कोशिशें की जा रही हैं. बैंकों से इमरजेंसी फंड न मिल पाने की वजह से जेट को अपना कामकाज अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा था. जेट एयरवेज के ऊपर 8,500 करोड़ रुपये का कर्ज है. कंपनी को चलाए रखने के लिए 400 करोड़ रुपये के आपात फंड की जरूरत थी, लेकिन एसबीआई ने इसे देने से इंकार कर दिया.

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एसबीआई की अगुवाई में बैंकों के कंट्रोल में आ चुकी जेट एयरवेज अब नीलामी प्रक्रिया से गुजरेगी. जेट एयरवेज की बोली लगाने के लिए मुख्य तौर पर 4 फर्म दावेदार हैं. ये चार बोलीदाता- एतिहाद एयरवेज, राष्ट्रीय निवेश कोष एनआईआईएफ, निजी क्षेत्र के टीपीजी कैपिटल और इंडिगो पार्टनर हैं.  ब्रिटेन के युवा कारोबारी जेसन अंसवर्थ ने भी जेट एयरवेज को नियंत्रण में लेने की इच्छा जाहिर की है.

 

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