महंगाई, बढ़ते घाटे, कमजोर मांग के बीच इस सप्ताह पेश किए जाने वाले आम बजट के बारे में कर विशेषज्ञों और अर्थशास्त्रियों का मानना है कि नये आयकर कानून के प्रस्ताव को देखते हुये वित्त मंत्री आयकर में छूट की सीमा बढ़ा सकते हैं.
विशेषज्ञों की राय में सरकार उत्पाद और सेवा शुल्क की दरों में समानता लाने तथा पेट्रोलियम पदार्थों सहित विभिन्न मदों पर सब्सिडी में कांटछांट कर सकती है. इन विशेषज्ञों का मानना है कि वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी को आर्थिक वृद्धि दर तेज करने और राजकोषीय घाटे को कम करने के बीच संतुलन बिठाना होगा. उन्हें खाने-पीने की वस्तुओं की महंगाई के बीच जनता को कुछ राहत देने की चुनौती है.
राजकोषीय घाटे में कमी लाने के लिये प्रोत्साहन पैकेज की थोड़ी बहुत वापसी के संकेतों को देखते हुए उत्पाद शुल्क दरें बढ़ सकती हैं और नई सेवाओं को सेवा कर के दायरे में लाया जा सकता है. 2010-11 का आम बजट लोकसभा में 26 फरवरी को रखा जाएगा.
कर क्षेत्र के विशेषज्ञों के अनुसार, मुखर्जी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों के क्षेत्र में नई शुरुआत कर सकते हैं. महंगाई के बोझ तले दबी आम जनता की जेब में कुछ धन और छोड़ने के लिये आयकर स्लैब की न्यूनतम सीमा बढ़ा सकते हैं. वर्तमान में आम नौकरी पेशा को एक लाख 60 हजार रुपये तक की सालाना आय पर कर से छूट प्राप्त है.