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देश में 24/7 बिजली सप्लाई के लिए है पर्याप्त कोयला

पिछले साल की तरह देश के बिजली संयंत्रों को इस साल कोयले की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा. उनका मानना है कि मौसम विभाग के मुताबिक इस साल मानसून भी समय से दस्तक दे रहा है जो कि देश में बिजली उत्पादन के लिए बेहतर है.

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चालू वित्त वर्ष 2015-16 के पहले 45 दिनों में भारत के कोयला उत्पादन में रिकॉर्ड 11 फीसदी का इजाफा हुआ है. यह इसलिए अहम है क्यों कि पिछले वित्त वर्ष में 40 साल का सर्वाधिक उत्पादन होने के बावजूद देश के ज्यादातर बिजली संयंत्र कोयले की कमी की समस्या से जूझ रहे थे. वहीं सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मौजूदा समय में देश के सभी बिजली संयंत्रों में औसतन 20 दिन का कोयला स्टॉक में बना हुआ है. लिहाजा, जानकारों का मानना है कि पिछले साल की तरह देश के बिजली संयंत्रों को इस साल कोयले की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा. उनका मानना है कि मौसम विभाग के मुताबिक इस साल मानसून भी समय से दस्तक दे रहा है जो कि देश में बिजली उत्पादन के लिए बेहतर है.

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केन्द्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने एक बिजनस अखबार को बताया कि देश में अब कोयला सप्लाई में कोई दिक्कत नहीं है और आने वाले दिनों में कई नई कोयला खदानों से सप्लाई शुरू होने जा रही है जिससे देश में प्रचुर मात्रा में कोयला रहेगा. गौरतलब है कि पिछले वित्त वर्ष में कोल इंडिया ने 493 मिलियन टन कोयले का रिकॉर्ड उत्पादन किया था.

साल 2014 में लगभग दो दर्जन ब्राउनफील्ड और ग्रीनफील्ड माइनिंग प्रोजेक्टों को मंजूरी मिली थी जो लगभग 21 मिलियन टन, बढ़े हुए उत्पादन का लगभग 64 फीसदी, का योगदान कर रहीं हैं. इस साल यह उत्पादन लगभग दोगुना होने की उम्मीद है क्योंकि इन नई खदानों की प्रति वर्ष क्षमता 40 मिलियन टन के आस-पास है.

इनके अलावा, केन्द्र सरकार को 41 अन्य कोयला खदानों को चालू करने की इजाजत मिल चुकी है. खास बात यह है कि इनमें पश्चिम बंगाल में लंबे समय से लंबित खदाने भी शामिल है. सरकार ने पश्चिम बंगाल में लगभग 2,000 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण कर लिया है और जल्द वहां माइनिंग शुरू की जा सकती है. इसके अलावा महाराष्ट्र में भी नई खदानों पर काम शुरू करने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है.

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झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में भी कोयला ढ़ुलाई के लिए तीन क्रिटिकल रेलवे लाइन परियोजना में भी चेजी आई है. इस परियोजना से इन राज्यों की कोयला खदानों से लगभग 300 मिलियन टन कोयला प्रति वर्ष निकाल कर ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है. सरकारी सूत्रों के मुताबिक 7,500 करोड़ रुपए की लागत की इस परियोजना को दिसंबर 2017 की डेडलाइन से पहले पूरा कर लिया जाएगा.

 

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