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SC में याच‍िकाकर्ता बोले- आधार जरूरी करना नागरिक अध‍िकारों की हत्या

सुनवाई के दौरान लीड काउंसलर श्याम दीवान ने कहा कि आधार प्रोजेक्ट ही चुनौती के दायरे में है. उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट की कोई  टाइम लिमिट नहीं है. यह एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है.

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सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू

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आधार की अनिवार्यता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो चुकी है. इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए के सीकरी , जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस अशोक भूषण की संवैधानिक बेंच कर रही है. श्याम दीवान ने बेंच से कहा कि आधार को अनिवार्य करना नागरिकों के अध‍िकारों की हत्या करने के बराबर है. उन्होंने कहा कि नागरिकों के संविधान को सरकार के संविधान में बदलने की कोश‍िश की जा रही है.

सुनवाई के दौरान लीड काउंसलर श्याम दीवान ने कहा कि आधार प्रोजेक्ट ही चुनौती के दायरे में है. उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट की कोई  टाइम लिमिट नहीं है. यह एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है.उन्होंने कहा कि आधार की बायोमैट्र‍िक व्यवस्था में कई खामियां हैं. यह सिस्टम भरोसेमंद नहीं है और यह सिर्फ संभावनाओं के आधार पर चलता है.

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ITR के लिए आधार जरूरी क्यों

श्याम दीवान ने सवाल उठाया कि आख‍ि‍र आधार को इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए जरूरी क्यों बनाया गया है. उन्होंने आधार को बैंक अकाउंट और मोबाइल नंबर से लिंक करने की अनिवार्यता को लेकर भी सवा उठाए.

श्याम दीवान ने आधार की खामियां कोर्ट को गिनाई

- दूरदराज के गांवों और दुर्गम इलाकों में रहने वालों के लिए आधार सेंटर तक पहुंचना और पहचान रजिस्टर कराना बेहद मुश्किल. खास कर बुज़ुर्गों और दिव्यांगों के लिए.

- 60 साल की उम्र के बाद वालों की उंगलियों के निशान रजिस्टर करना मुश्क‍िल हो जाता है. अक्सर बुजुर्ग होने पर फिंगरप्र‍िंट बदल भी जाता है. इसके लिए त्वचा का सिकुड़ना और पतला होना भी वजह बनती है.

- एक बार में सही फिंगरप्रिंट न होने पर कई  बार कोश‍िश करनी पड़ती है. इसके बाद ही सही फिंगरप्र‍िंट रजिस्टर हो या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं रहती. .

श्याम दीवान ने उठाए ये सवाल

- आधार कार्ड संवैधानिक है या नहीं, ये पीठ को तय करना है?

- क्या आधार कार्ड रूल ऑफ लॉ के मुताबिक है?

- आधार कार्ड को मनी बिल की तरह क्यों पेश किया गया?

- क्या लोकतंत्र में किसी को ये अधिकार है या नही कि वो पहचान पत्र के लिए फिंगर प्रिंट या शरीर के किसी हिस्से का निशान दे या नहीं?

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- क्या इस डिजिटल संसार में कोई अपने को सुरक्ष‍ित कर सकता है या नही?

- आधार कार्ड के लिए अपनी जानकारी साझा करना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा तो नही?

- बैंक अकाउंट और मोबाइल नंबर के लिए आधार कार्ड जरूरी क्यों?

- सामाजिक सुरक्षा की योजनओं को आधार से लिंक करना अनिवार्य क्यों?

- UGC के तहत कुछ प्रोग्राम में इसको अनिवार्य क्यों किया गया है?

नंदन निलेकणी ने किया आधार का बचाव

इसी बीच, यूआईडीएआई के पूर्व प्रमुख नंदन निलेकणी ने कहा कि आधार के बलबूते पर अभी तक भारत ने जो भी हासिल किया है, वह किसी रेवोल्यूशन से कम नहीं है. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि हर व्यवस्था को पुख्ता होने में समय लगता है और यह काम लगातार उसे बेहतर करने के प्रयासों से ही हो सकता है.

UIDAI जुटा आधार को सुरक्ष‍ित करने में

इस बहस के बीच केंद्र सरकार भी अपना पक्ष मजबूत करने की कोश‍िश में जुटी हुई है. इसके लिए आधार को सुरक्ष‍ित बनाने की खातिर आधार अथॉरिटी लगातार नये-नये सिक्योरिटी लेयर तैयार कर रही है. आधार डाटा को सुरक्ष‍ित करने के लिए यूआईडीएआई वर्चुअल आईडी और फेस रिकगनिशन की सुविधा लाने की घोषणा कर चुका है.

वर्चुअल आईडी की सुविधा मार्च  से आ जाएगी. हालांकि जून से ही यह हर जगह इस्तेमाल की जा सकेगी. इसके साथ ही फेस रिकगनिशन की सुविधा 1 जुलाई से मिलनी शुरू हो जाएगी. यूआईडीएआई का दावा है कि इससे आधार की सुरक्षा और भी मजबूत होगी.

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लीक की आई थी खबर

दरअसल इसी महीने एक ऐसी रिपोर्ट छापी गई थी, जिसमें कहा गया था कि महज 500 रुपये देकर मात्र 10 मिनट में करोड़ों आधार कार्ड की जानकारी हासिल करना संभव हो रहा है. अंग्रेजी अखबार द ट्रिब्यून ने एक तहकीकात की, जिसमें इस तरह की बातों का खुलासा हुआ है. ट्रिब्यून के अनुसार, उन्होंने एक व्हाट्सएप ग्रुप से मात्र 500 रुपये में ये सर्विस खरीदी और करीब 100 करोड़ आधार कार्ड का एक्सेस मिल गया.

एजेंट से मिले करोड़ों की आधार डिटेल

दरअसल, उनकी तहकीकात में उन्हें एक एजेंट के बारे में पता लगा. जिसके बाद एजेंट ने मात्र 10 मिनट में एक गेटवे दिया और लॉग-इन पासवर्ड दिया. उसके बाद उन्हें सिर्फ आधार कार्ड का नंबर डालना था और किसी भी व्यक्ति के बारे निजी जानकारी आसानी से मिल गई. इसके बाद 300 रुपये अधिक देने पर उन्हें उस आधार कार्ड की जानकारी को प्रिंट करवाने का भी एक्सेस मिल गया. इसके लिए अलग से एक सॉफ्टवेयर था.

इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद आधार डाटा की सुरक्षा को लेकर बहस ही छिड़ गई. यूआईडीएआई ने भी इस बहस के बीच आधार को और सुरक्ष‍ित करने के लिए वर्चुअल आईडी और फेस रिकगनिशन की सुविधा भी ला दी है.

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