सुप्रीम कोर्ट ने रियल एस्टेट फर्म जेपी इन्फ्राटेक और अन्य को मकान खरीदने वाले उन लोगों की अपील पर नोटिस जारी किया जिन्हें अब तक फ्लैट का कब्जा नहीं मिला है. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद के ‘नेशनल कंपनी ला ट्रिब्यूनल’ में कंपनी के खिलाफ दिवालिया होने की कार्यवाही पर भी रोक लगा दी.
गौरतलब है कि नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल एनसीएलटी ने आईडीबीआई बैंक द्वारा कर्ज में डूबी जेपी इंफ्राटेक के खिलाफ दायर ऋण शोधन याचिका (इंसॉल्वेंसी पेटीशन) स्वीकार कर ली थी. एनसीएलटी की इलाहाबाद पीठ ने दिवाला एवं रिण शोधन अक्षमता संहिता 2016 की धारा सात के तहत आईडीबीआई बैंक की याचिका स्वीकार की थी.
इसमें कहा गया है कि कंपनी की तरफ से याचिका के बाद एनसीएलटी की इलाहाबाद पीठ ने नौ अगस्त को आईडीबीआई बैंक की याचिका स्वीकार कर ली और अंतरिम समाधान पेशेवर नियुक्त किया है.
पीठ ने चित्रा शर्मा और अन्य मकान खरीदारों की जनहित याचिका पर रियल इस्टेट कंपनी, भारतीय रिजर्व बैंक और अन्य से जवाब मांगे हैं. याचिका में कहा गया है कि उन्हें अभी तक अपने मकान के कब्जे नहीं मिले हैं और कंपनी के खिलाफ शुरू की गयी दिवालिया घोषित करने की कार्यवाही उन्हें बगैर किसी राहत के अधर में छोड देगा.
याचिका में कहा गया है कि मकानों के खरीदारों को असुरक्षित देनदार होने की वजह से दिवालिया कार्यवाही से कुछ भी नहीं मिलेगा क्योंकि वित्तीय संस्थानों, जो सुरक्षित देनदार हैं, की बकाया राशि का पहले भुगतान किया जायेगा.
पीठ ने कहा कि इस मामले में अब 10 अक्तूबर को आगे की कार्यवाही की जायेगी.
शीर्ष अदालत में दायर याचिका में उन तीस हजार मकान खरीदारों के हितों की रक्षा का अनुरोध किया गया है जिन्होंने अपनी गाढी कमाई का अपने सपनो के घर के लिये जेपी इंफ्राटेक कंपनी की 27 विभिन्न परियोजनाओं में निवेश किया है.
जेपी इंफ्राटेक को दिवालिया घोषित करने के लिये आईडीबीआई बैंक की याचिका कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने 10 अगस्त को विचारार्थ स्वीकार कर ली थी. कंपनी ने इस बैंक के 526 करोड रूपए का कर्ज की अदायगी नहीं की है.
इसे भी पढ़ें: जेपी इंफ्रा ही नहीं, दिवालिया होने की कतार में हैं और भी बिल्डर
यूं दिवालिया घोषित हो सकती है जेपी इंफ्रा
जेपी इंफ्राटेक समस्या से जूझा रही है. कंपनी ने नोएडा और आगरा को जोड़ने वाले यमुना एक्सप्रेसवे का निर्माण किया है. कंपनी कर्ज में कमी लाने के लिये अपनी संपत्ति बेच रही है. इस फैसले के बाद एनसीएलटी की तरफ से अब जेपी इंफ्रा को 180 दिन की मोहलत दी जाएगी जिसमें उसे अपना कर्ज लौटाने का रोडमैप देना होगा. यदि जेपी इंफ्रा रोडमैप देने में फेल होती है तो अगले 90 दिनों की नोटिस के बाद जेपी इंफ्रा की पूरी संपत्ति बेचने और उसे दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी.
इसे भी पढ़ें: 34,000 करोड़ की एंबी वैली को नीलामी से बचाने की आखिरी कोशिश
किसे होगा नुकसान
गौरतलब है कि दिल्ली एनसीआर में बड़े रेजिडेंशियल और कॉमर्शियल प्रोजेक्ट में निवेश कर चुकी जेपी इंफ्रा लगभग 32 हजार रेजिडेंशियल यूनिट बना रहा है. इस निर्माणाधीन प्रोजेक्ट के लिए वह ग्राहकों से पैसे भी ले चुकी है. लिहाजा, यदि जेपी इंफ्रा को दिवालिया घोषित किया जाता है तो इसका सबसे बड़ा असर उन ग्राहकों पर पड़ेगा जिन्होंने लंबे समय से जेपी प्रोजेक्ट में अपना पैसा लगाया है. दिवालिया घोषित होने के बाद लोगों का घर का सपना तो टूटना तय है लेकिन खतरा उनके निवेश किए गए पैसे पर भी मंडरा रहा है.
इसे भी पढ़ें: नोटबंदी के असर पर बने सस्पेंस से आरबीआई जल्द उठाएगा पर्दा
इन बिल्डर्स से भी खतरा
यह खतरा सिर्फ जेपी इंफ्रा के ग्राहकों के ऊपर ही नहीं मंडरा रहा है. इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक जेपी इंफ्रा के बाद देश के कई और बिल्डर्स और डेवलपर्स के खिलाफ कदम उठाए जा सकते हैं. खबरों के मुताबिक गंदे कर्ज के चलते जेपी इंफ्रा महज पहली कंपनी है जिसके खिलाफ दिवालिया घोषित किए जाने का कठोर कदम उठाया गया है. लिहाजा, अन्य बिल्डर और डेवलपर्स के खिलाफ ऐसा कदम लिए जाने के बाद देश में घर का सपना संजोए बैठे कई और ग्राहकों पर खतरा है. गौरतलब है कि बैंक ऑफ बड़ौदा ने भी दिल्ली एनसीआर में बड़ा प्रोजेक्ट कर रहे आम्रपाली ग्रुप के खिलाफ एनसीएलटी का दरवाजा खटखटाया है.