टाटा स्टील ने कोरोना संकट के बाद आने वाले आर्थिक संकट और ऐसे किसी आकस्मिक संकट के लिहाज से 20,144 करोड़ रुपये का एक इमरजेंसी फंड (Liquidity War-chest) तैयार कर लिया है. कंपनी को जून तिमाही में 4,648 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है.
गौरतलब है कि टाटा स्टील के पास जनवरी से जून के दौरान लिक्विडिटी बफर यानी अतिरिक्त नकदी में 43.6 फीसदी की बढ़त हुई है. कंपनी के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर और सीएफओ कौशिक चटर्जी ने कहा कि कंपनी इस अतिरिक्त नकदी को आगे चलकर जरूरत पड़ने पर काम में लगाएगी.
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आमदनी में कमी है घाटे की मुख्य वजह
टाटा स्टील को चालू वित्त वर्ष की जून में समाप्त इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 4,648.13 करोड़ रुपये का एकीकृत शुद्ध घाटा हुआ है. मुख्य रूप से आमदनी घटने की वजह से कंपनी घाटे में आ गई है. इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में कंपनी ने 714.03 करोड़ रुपये का नेट प्राॅफिट कमाया था. बीएसई को भेजी सूचना में कंपनी ने कहा कि तिमाही के दौरान उसकी कुल आय घटकर 24,481.09 करोड़ रुपये रह गई, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 36,198.21 करोड़ रुपये रही थी.
मार्च 2020 तक कंपनी के पास 17,745 करोड़ रुपये की नकदी थी. गौरतलब है कि टाटा स्टील भारत और यूरोप की एक प्रमुख स्टील उत्पादक कंपनी है. लोन के भुगतान और फिक्स्ड लागत जैसे जरूरी खर्चों के लिए कंपनी ने नकदी का भंडार बनाना शुरू किया है.
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हो रहा कारोबार में सुधार
कंपनी के सीईओ एवं मैनेजिंग डायरेक्टर TV Narendran ने कहा कि अब धीरे-धीरे आर्थिक गतिविधियों में सुधार हो रहा है. उन्होंने बताया, 'भारत में हमने अपनी क्षमता का इस्तेमाल बढ़ाते हुए 90 फीसदी तक कर लिया है और जून महीने में कुल बिक्री पिछले वित्त वर्ष के मासिक औसत को हासिल कर चुकी है.'