देश के वित्त मंत्री जब लोकसभा में बजट भाषण पढ़ने के लिए उठते हैं, तो उनके पीछे होती है देश की अर्थव्यवस्था पर पैनी नजर और वित्त मंत्रालय के कर्मचारियों की महीनों की दिन-रात की कड़ी मेहनत. आपको बताते हैं आम बजट तैयार करने की पूरी प्रक्रिया. वित्त मंत्री के भाषण वाला बैग तो हम सालों से देखते आ रहे हैं. क्या आप जानते हैं 40 से 50 पन्नों वाला ये भाषण को तैयार करने में छह महीने से भी ज्यादा का वक्त लगता है.
फरवरी के आखिर में पेश होने वाले बजट का काम आम तौर पर सितंबर से ही शुरु हो जाता है. वित्त मंत्रालय से एक निर्देश सभी मंत्रालयों और विभागों को जाता है जिसमें उनके सालाना खर्चों और नई योजानों की जरुरतों का अनुमान मांगा जाता है.
नवंबर में शुरु होती हैं मंत्रालय के अधिकारियों की बैठकें जिनमें इन मांगों पर विचार होता है. साथ शुरु होता है ओद्योगिक संगठनों, किसानों के संगठनों, ट्रेड यूनियनों से विचार विमर्श का सिलसिला. बैठकों का ये दौर नवंबर दिसंबर में जारी रहता है. और जनवरी आते-आते वित्त मंत्री खुद बैठकों में हिस्सा लेते हैं वही सत्ताधारी पार्टी के नेताओं से भी राय मशवरा किया जाता है.
इसके साथ बजट का एक खाका तैयार हो जाता है. इसके बाद शुरु होता है बजट की सबसे महत्वपूर्ण और गोपनीय चरण. वित्त मंत्रालय के चुनिंदा अफसर, प्रिटिंग टेक्नीशियन और स्टेनोग्राफरों की टीम तैयार की जाती है. इस टीम को मंत्रालय के नीचे पर अंडरग्राउंड कमरों में उस समय तक के लिए बंद कर दिया जाता है जब तक के बजट का खत्म ना हो जाए. इस टीम का संपर्क बाहरी दुनिया से पूरी तरह काट दिया जाता है. ना ही कोई फोन कॉल, ना ही किसी से मेल मुलाकात. इस टीम की हर हरकत पर खुफिया विभाग की नजर रहती है. सिर्फ किसी परिवारिक इमरजेंसी ही की सूरत में इस टीम के सदस्यों को बाहर जाने दिया जाता है.
यह सब इस लिए जरूरी होता है कि बजट की कोई भी जानकारी किसी भी तरह लीक ना हो. वित्त मंत्रालय के बजट विभाग के भी कंप्यूटर के लिंक भी काट दिये जाते हैं. मंत्रायल में किसी तरह के सेलफोन का इस्तेमाल ना हो इसके लिए जैमर भी लगाए जाते हैं. वित्त मंत्री का भाषण बजट पेश होने से दो दिन पहले प्रिंटिंग के लिए दिया जाता है. बजट का काम पूरा होने तक ये जेल नुमा दफ्तर में परिंदा तक पर नही मार पाता. सिर्फ वित्त मंत्री को बाहर आने जाने की छूट होती है.