देश में 1 लाख 55 हजार पोस्ट ऑफिस हैं जिसमें 90 फीसदी पोस्ट ऑफिस ग्रामीण इलाकों में मौजूद हैं. प्रति पोस्ट ऑफिस देश में औसतन 21 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को अपनी सेवाएं मुहैया करा रहे हैं. अपनी इसी ताकत के चलते देश में पोस्ट ऑफिस खुद को निवेश का भी सबसे कारगर और विश्वस्नीय माध्यम बनाने में सफल रहा है.
जहां निवेशकों को बाजार में निवेश के अन्य प्रचलित साधन जैसे म्यूचुअल फंड और शेयर बाजार में पैसा लगाने में इनमें निहित जोखिम के साथ चलता पड़ता है वहीं पोस्ट ऑफिस की निवेश स्कीम जोखिम रहित रहने के साथ-साथ अच्छा रिटर्न भी देती हैं.
नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट(NSC)
नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट किसी बैंक के फिक्सड डिपॉजिट (एफडी) की तरह है. पीपीएफ जैसे यहां भी ब्याज पर टैक्स नहीं लगता है और रिटर्न लगभग उतना ङी (8.5 फीसदी) मिलता है. इस स्कीम में ब्याज को छमाही जोड़ा जाता है. इस स्कीम की सफलता को देखते हुए विभाग ने अपनी पांच साल के लॉक इन पीरियड के साथ अब 10 साल लॉक इन पीरियड की NSC स्कीम की भी शुरुआत की है जिसमें 8.8 फीसदी ब्याज दिया जाता है.
मंथली इनकम स्कीम(MIS)
आप यदि अपने निवेश को पूरी तरह से जोखिम मुक्त रखना चाहते हैं तो MIS आपके लिए उपयुक्त विकल्प है. MIS में 8.40 प्रतिशत ब्याज मिलता है और यह ब्याज वित्तीय वर्ष के हिसाब से आगे बढ़ता है. इस स्कीम में ब्याज की रकम हर महीने आपके बचत खाते में डाल दी जाती है और आपको पोस्ट ऑफिस जाने की जरूरत भी नहीं होती. MIS की अवधि 6 साल की होती है और इसके तहत न्यूनतम 1500 रुपए तक खाते में जमा रखना होता है. वहीं, इस स्कीम के लिए अधिकतम 4.5 लाख रुपए रखे जा सकते हैं. ज्वाइंट अकाउंट में इसकी लिमिट बढ़कर 9 लाख रुपए हो जाती है.
सीनियर सिटिजन सेविंग स्कीम (SCSS)
पोस्ट ऑफिस का सीनियर सिटिजन सेविंग स्कीम वरिष्ठ नागरिकों के लिए पांच साल की योजना है जिस पर 9.3 फीसदी का ब्याज देय है. ब्याज के जरिए तिमाही आधार पर आय प्राप्त होती है. यह खाता 60 साल से ऊपर के व्यक्तियों के लिए खोला जाता है और इसमें निवेश आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत कर मुक्त रहती है.
टाइम डिपॉजिट अकाउंट (TDA)
टाइम डिपॉजिट अकाउंट पांच साल के लिए खोला जाता है. इसे मात्र 200 रुपए से शुरू किया जाता है. पहले चार सालों तक ब्याज दर 8.40 फीसदी की दर से मिलता है वहां पांचवें साल में ब्याज 8.5 प्रतिशत मिलता है। इस टीडी अकाउंट पर ब्याज वार्षिक रूप में देय होता है, हालांकि इसे तिमाही आधार पर जोड़ा जाता है. इस योजना में ब्याज से होने वाली आय भी आयकर अधिनियम के तहत कर मुक्त रहती है.