ग्रीस का बेलआउट प्रोग्राम मंगलवार को खत्म हो गया और ग्रीस को 1.6 बिलियन यूरो यानी करीब 80 अरब रुपये का भुगतान नहीं कर सका. हालांकि इस मुद्दे पर ग्रीस के प्रधानमंत्री एलेक्सिस सिपरास ने 5 जुलाई को होने वाले जनमत संग्रह के विरुद्ध वोट डालने और एक सप्ताह तक बैंकों को बंद करने का आदेश जारी कर दुनियाभर के बाजारों को मुसीबत में डाल दिया है.
ग्रीस सरकार के इस फैसले के बाद एक-एक कर दुनिया के सभी बाजारों में जोरदार गिरावट देखने को मिली. हालांकि भारत सरकार और देश के अर्थशास्त्रियों का दावा है कि ग्रीस संकट गहराने से भारत पर आंशिक असर की उम्मीद है क्योंकि केन्द्र सरकार के साथ देश का केन्द्रीय बैंक लंबे समय से इस संकट से जूझने की तैयारी कर रहा है. आइए नजर डालते हैं कि जब 21वीं सदी में कोई देश अपने ऊपर लदे कर्ज को उतारने में विफल हो रहा है तो ऐसी स्थिति का दुनिया के अन्य देशों के साथ-साथ भारत पर क्या असर पड़ेगा.
खतरा: भारत से हो सकता कैपिटल आउटफ्लो
वित्त सचिव राजीव महर्षि ने कहा कि ग्रीस में आर्थिक संकट के कारण भारत से पूंजी बाहर जा सकती है और सरकार इस स्थिति से निपटने के लिए आरबीआई से परामर्श कर रही है. केन्द्र सरकार का मानना है कि भारत पर अपरोक्ष दबाव बन सकता है क्योंकि इस संकट से यूरोपीय संघ की मुद्रा यूरो पर असर पड़ेगा. इसके चलते यूरो बॉन्ड पर होने वाला असर भारत में कैपिटल इनफ्लो और आउटफ्लो को बिगाड़ सकता है.
खतरा:आईटी और तकनीकि क्षेत्र के कारोबार पर असर
आईटी क्षेत्र के जानकारों का मानना है कि ग्रीस संकट गहराने से देश के सॉफ्टवेयर और इंजिनियरिंग एक्सपोर्ट पर खराब असर देखने के मिल सकता है. भारतीय कंपनियों के इंजिनियरिंग प्रॉडक्ट की सबसे बड़ा मार्केट यूरोपीय यूनियन है.
खतरा:रुपये में बढ़ सकती है गिरावट
आर्थिक जानकारों और फॉरेक्स मार्केट के एक्सपर्ट्स का मानना है कि बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमतों पर अस्थायी उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है. अगर ग्रीस यूरोजोन से बाहर आता है तो रुपये में बड़ी गिरावट दर्ज होने का खतरा है.
खतरा:दो फीसदी से अधिक टूटे स्टॉक मार्केट
स्टॉक मार्केट्स में भारी गिरावट ग्रीस चिंता के कारण सोमवार को भारत के स्टॉक मार्केट में 2.2 फीसदी गिरावट आई। बीएसई सेंसेक्स और निफ्टी करीब ढाई सप्ताह के अपने निचले स्तर पर पहुंच गया है.
हालांकि अर्थशाष्त्रियों का मानना है कि भारत इस बार वैश्विक संकट से निपटने के लिए पहले से कहीं ज्यादा सक्षम है.
राहत: भारतीय अर्थव्यवस्था का मजबूत आधार
ग्रीस में संकट गहराने के बाद भारत सरकार ने दावा किया है कि वह किसी भी तरह की स्थिति से निबटने के लिए तैयार है. जहां केन्द्र सरकार केन्द्रीय बैंक के साथ लगातार इस मुद्दे पर संपर्क बनाए हुए है वहीं नीति आयोग के उपाध्यक्ष और कोलंबिया युनिवर्सिटी के पूर्व अर्थशाष्त्री अरविंद पनगढ़िया कहा है कि इस संकट का कोई विशेष असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर देखने को नहीं मिलेगा. पनगढ़िया का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के फंडामेंटल मजबूत हैं और बाजार पहले ही इस खतरे को काट चुका है.
राहत: घरेलू मांग से भारत की ग्रोथ बढ़ती है
अर्थशाष्त्रियों का मानना है कि भारत में ग्रोथ घरेलू मांग पर निर्भर करती है. इसके साथ ही देश में आर्थिक तेजी की बेहतर उम्मीद है. इसके साथ ही वैश्विक स्तर पर भी कई रेटिंग एजेंसी मान रही हैं कि भारत एक उच्च ग्रोथ की राह पर है और आने वाले दिनों में देश में विकास दर 7-8 फीसदी तक रहेगी. इसके अलावा देश में अच्छी मात्रा में विदेशी मुद्रा का भंजार है लिहाजा इस संकट से उभरने वाली चुनौतियों से लड़ने के लिए देश पूरी तरह से तैयार है.