वैश्विक आर्थिक उथल-पुथल से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर समन्वित नीतिगत फैसले पर जोर देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अमेरिका में शुक्रवार को कहा कि अब वक्त आ गया है कि राजकोषीय नीति का पुनर्आकलन होना चाहिए.
जेटली ने जी-20 के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नर की 'वैश्विक अर्थव्यवस्था और मजबूत, सतत और संतुलित वृद्धि के ढांचे’ पर आयोजित बैठक में कहा, 'हमारा मानना है कि मौद्रिक नीति के उपाय अपनी सीमा पर पहुंच गए हैं और इसका फायदा सही तरीके से नहीं पहुंचा है. अब राजकोषीय नीति के पुनर्आकलन का सही समय है जिसमें सार्वजनिक निवेश पर ज्यादा ध्यान हो.' उन्होंने कहा कि 'भारत ने हमेशा वैश्विक आर्थिक उथल-पुथल के उपाय के तौर पर वैश्विक स्तर पर समन्वित नीतिगत फैसले की जरूरत पर बल दिया है.'
वित्त मंत्री ने की चीन की तारीफ
जेटली ने कहा, 'हम चीन सरकार द्वारा अपनी अर्थव्यवस्था के पुनर्संतुलन की कोशिश और विशेष तौर पर विभिन्न क्षेत्रों में अतिरिक्त क्षमता कम करने के प्रयास की सराहना करते हैं.' इससे अन्य देशों में विनिर्माण गतिविधि के लिए आवश्यक गुंजाइश पैदा होगी. उन्होंने कहा कि सभी जी-20 देशों में 2015 के दौरान आयात-निर्यात में गिरावट दर्ज हुई है. साथ ही उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में व्यापार के प्रेरक तत्व को बहाल करने के लिए प्रभावी और ठोस नीतिगत प्रतिक्रिया तैयार करने की जरूरत है.
वृद्धि में गिरावट का जोखिम
जेटली ने कहा कि भारत ने पिछली तीन तिमाहियों से निरंतर सबसे अधिक वृद्धि दर दर्ज की है. उन्होंने कहा, 'हमें उम्मीद है कि सामान्य मानसून को देखते हुए यह गति बरकरार रहेगी. इसके मद्देनजर विनिर्माण के मूल्यवर्धन की लागत कम होने के घटते असर, कॉर्पोरेट क्षेत्र पर दबाव बरकरार रहने और बैंकिंग प्रणाली में जोखिम दूर करने और वैश्विक वृद्धि में और व्यापार में नरमी से भारत के वृद्धि के दृष्टिकोण के लिए गिरावट का जोखिम है.' मंत्री ने कहा कि भारत सरकार नीतिगत योजना के जरिए इन चुनौतियों से निपट रही है.